12 साल बाद बन रहे हैं मोहिनी एकादशी पर अद्भुत संयोग, जाने पूजा विधि महत्व और पौराणिक कथाएं
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही खास माना जाता है. हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. सभी एकादशी के व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस बार मोहिनी एकादशी 19 मई, रविवार को रखा जाएगा.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक अप्सरा का रूप धरा था. पुराणों की मानें तो, श्रीहरि के मोहिनी रूप में प्रकट होने से भगवान शिव भी मोहित हो गए थे.
मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 मई को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर होगा और समापन 19 मई को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर होगा. मोहिनी एकादशी का पारण 20 मई को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक होगा.
मोहिनी एकादशी शुभ योग
इस बार मोहिनी एकादशी बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुक्रादित्य योग, राजभंग योग और लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होने जा रहा है.
मोहिनी एकादशी पूजन विधि
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. साफ व नए कपड़े पहनें और फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें. एक चौकी पर साफ पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. भगवान को चंदन का तिलक जरूर लगाएं. भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करें और साथ ही धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं. मोहिनी एकादशी की कथा का पाठ अवश्य करें क्योंकि इसके बिना व्रत व पूजा अधूरी मानी जाती है. इस दिन गरीबों व जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है. शाम के समय आरती करें और अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन व्रत पारण करें.
मोहिनी एकादशी उपाय
धन प्राप्ति के लिए
मोहिनी एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती है साथ ही, व्यक्ति को कभी भी धन की हानि नहीं होती है.
सुख-समृद्धि के लिए
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर श्री हरि विष्णु का विधि विधान से पूजन करें और उसके बाद रात्रि में विष्णु जी की प्रतिमा के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं. ऐसा करने से कभी भी धन के साथ सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती.
मोहिनी एकादशी का महत्व
भगवान श्री कृष्ण, युधिष्ठिर को मोहिनी एकादशी का महत्व समझाते हुए कहते हैं कि महाराज ! त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ के कहने से परम प्रतापी श्री राम ने इस व्रत को किया। यह व्रत सब प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला व्रतों में उत्तम व्रत है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पाकर विष्णुलोक को जाते हैं। मोहिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम एवं विष्णुजी के मोहिनी स्वरुप का पूजन-अर्चन किया जाता है।
मोहिनी एकादशी की पूजाविधि
एकादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप को मन में ध्यान करते हुए रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि भगवान विष्णु को अर्पित करें। फिर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है। इस दिन भक्तों को परनिंदा, छल-कपट,लालच,द्धेष की भावनाओं से दूर रहकर,श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करना चाहिए ।द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।
श्रीराम ने रखा था मोहिनी एकादशी व्रत
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीराम ने महर्षि वशिष्ठ से कहा कि गुरुवर जनक दुलारी सीता जी के वियोग में मैंने बहुत कष्ट भोगे हैं, इन कष्टों का निवारण कैसे होगा, इसका कोई उपाय बताएं. तब ऋषि ने श्रीराम जी को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का महत्व बताते हुए इस व्रत को करने को कहा. इस उपवास के प्रभाव से मनुष्य मोह के जाल से मुक्त हो जाता है. ऋषि बोले दुखी मनुष्य को इस एकादशी का उपवास अवश्य ही करना चाहिये.इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
मोहिनी एकादशी का दान
मोहिनी एकादशी पर स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान, गौदान, जलदान, जूते, छाता, फल के दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. ये व्रत 1000 गौदान करने के समान फल देता है.
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!