सावधान : आईसीएमआर की चेतावनी पैकेट बंद सामान पर खाद्य लेबल भ्रामक हो सकता है
बेबी फूड्स की गुणवत्ता और उसके बाद कई मसालों की गुणवत्ता में कमी के बाद आईसीएमआर की इस चेतावनी से आमजन के मन में एक डर की स्थिति बन गई है।
आजकल के दौर में पैकेज फूड का खानपान काफी बढ़ गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंख मूंदकर इनका इस्तेमाल आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है? जी हां, समझदारी इसी में है कि समान खरीदने से पहले उस पैकेट के लेबल पर छपी जानकारी को पढ़ लें और जान लें कि उसमें इन्ग्रीडियेंट्स क्या-क्या हैं और उनका हमारी सेहत पर क्या असर पड़ेगा। आहार के लिए स्वस्थ विकल्पों का चुनाव करने के लिए थोड़ी सावधानी बरतनी जरूरी है।
आईसीएमआर ने कहा कई खाद्य पदार्थ जो शुगर-फ्री होने का दावा करते हैं असल में उनमें वसा की मात्रा अधिक हो सकती है। इसी तरह से अधिकतर डिब्बाबंद फलों के रस में केवल 10 प्रतिशत तक ही फलों का गूदा हो सकता है। हाल ही में जारी अपने आहार दिशानिर्देशों में, आईसीएमआर ने कहा कि पैक्ड फूड पर स्वास्थ्य संबंधी दावे उपभोक्ताओं का ध्यान खींचने और उन्हें यह समझाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं कि उत्पाद स्वस्थ है, लेकिन असल में ये कितने स्वस्थ है इसपर अपने विवेक से ध्यान देना जरूरी है।
डिब्बाबंद उत्पादों को प्राकृतिक बताकर हो रही है बिक्री
हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने भारतीयों के लिए जारी किए गए आहार दिशानिर्देश में कहा वैसे तो भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सख्त मानदंड हैं लेकिन लेबल में प्रस्तुत जानकारी भ्रामक हो सकती है। उदाहरण देते हुए एनआईएन ने कहा कि किसी खाद्य उत्पाद को ‘प्राकृतिक’ तभी कहा जा सकता है जब इसमें ऊपर से रंग और स्वाद या कृत्रिम पदार्थ नहीं मिलाए गए हों।
एनआईएन ने सख्ती बरतते हुए कहा कि देखा जा रहा है कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लिए ‘प्राकृतिक’ शब्द का प्रयोग अक्सर शिथिल रूप से किया जा रहा है। इसका उपयोग अक्सर निर्माताओं द्वारा किया जाता है भले ही डिब्बाबंद उत्पाद में केवल एक या दो प्राकृतिक अवयवों हों। ये भ्रामक हो सकता है इसलिए लोगों को सामग्री और अन्य जानकारी को ध्यान से पढ़ना जरूरी है। बेहतर सेहत के लिए डिब्बाबंद उत्पादों के लेबल पर किए गए दावों की दोबारा जांच करें।
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