हरियाणा में बड़ा राजनीतिक उलटफेर : बीजेपी की नायब सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लिया
सरकार अल्पमत में है : भूपेंद्र सिंह हुड्डा
सरकार को कोई खतरा नहीं : प्रवीण अत्रे
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच में भारतीय जनता पार्टी की नायब सिंह सैनी सरकार को जोर का झटका लगा है। नायब सिंह सैनी सरकार को समर्थन देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन दे दिया है। इस घटनाक्रम के बाद में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है और कहा है कि हरियाणा में नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में है। नायब सिंह सैनी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
किन-किन विधायकों ने लिया सरकार से समर्थन वापस
हरियाणा में नायब सिंह सैनी सरकार में निर्दलीय विधायकों ने समर्थन देकर सरकार बनवाई थी क्योंकि जननायक जनता पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। समर्थन वापस लेने वालों में पुंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंडा, चरखी दादरी से सोमवीर सागवान शामिल है। इसी के साथ-साथ बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के भी कांग्रेस को समर्थन किए जाने की चर्चा है हालांकि वह रोहतक रैली में नहीं पहुंचे थे। इन तीनों ने रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
क्यों नाराज हुए निर्दलीय विधायक
दरअसल 2 महीने पहले हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार को हटाकर अचानक से भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता परिवर्तन हुआ था और जननायक जनता पार्टी को भी अपने से दूर करके निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया था। तब सिर्फ निर्दलीय विधायकों में रणजीत चौटाला को मंत्री बनाया गया था जिसकी वजह से बाकी के निर्दलीय विधायक सरकार से नाराज चल रहे थे। वहीं निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भी ले ली थी उसके बाद में भाजपा ने उनको हिसार से लोकसभा का उम्मीदवार घोषित किया था। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा की राजनीति में अचानक से गर्माहट आ गई है। यूं तो प्राकृतिक गर्मी वैसे ही है मगर राजनीतिक गर्मी का तापमान प्राकृतिक गर्मी से भी ज्यादा तेज है। वही पाला अपनी तरफ देखते ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत मे आ गई है अतः सीएम को इस्तीफा देकर तुरंत प्रभाव से विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए।
सरकार को कोई खतरा नहीं : प्रवीण अत्रे
निर्दलीय विधायकों द्वारा कांग्रेस को समर्थन करने पर मुख्यमंत्री के मीडिया सेक्रेटरी परवीन अत्रे ने कहा कि निर्दलीय विधायकों द्वारा कांग्रेस को समर्थन दिए जाने पर हरियाणा सरकार पर कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। आज भी हरियाणा की सरकार बहुमत की सरकार है। हरियाणा की सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है, अगर अंक गणित और आंकड़ों को देखा जाए, आज सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है, जिसकी वजह से सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि अगर क़ानूनी दृष्टि से बात की जाए तो सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आ सकता, इससे पहले विधानसभा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जोकि गिर गया था। क़ानून ये कहता है कि छह महीने तक दुबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।
किस परिस्थिति में लागू हो सकता है किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन
- एक राज्य विधानसभा, राज्यपाल की इच्छा पर, उस राज्य के राज्यपाल द्वारा निर्धारित समय के लिए किसी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने में असमर्थ है।
- गठबंधन के टूटने से मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत का समर्थन नहीं मिला और मुख्यमंत्री उस राज्य के राज्यपाल द्वारा निर्धारित समय के भीतर अन्यथा साबित करने में विफल रहता है/निश्चित रूप से विफल रहेगा।
- सदन में अविश्वास प्रस्ताव के कारण विधानसभा में बहुमत की हानि।
- युद्ध, महामारी, महामारी या प्राकृतिक आपदाओं जैसे अपरिहार्य कारणों से चुनाव स्थगित कर दिए गए।
- राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी या विधायिका संवैधानिक मानदंडों का पालन करने में विफल।
अल्पमत सरकार को नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए: सुशील गुप्ता
आज भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में अल्पमत के अंदर आ चुकी है। नैतिक आधार पर इनको इस्तीफा दे देना चाहिए। मैं हरियाणा के गवर्नर से अनुरोध करता हूँ कि इस सरकार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करें। यहां पर तुरंत प्रभाव से हरियाणा विधानसभा के चुनाव कराए जाएं।
चंद दिन पहले इन्होंने अपनी पोजिशन को देखते हुए अपनी हार को स्वीकार किया था। अपने मुख्यमंत्री को, उपमुख्यमंत्री को बदला था। एक ड्रामा रचा था बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन को तोड़ने का। भाजपा-जजपा से हरियाणा के लोग नफरत कर रहे हैं।
मैं गवर्नर साहब से पुनः अपील करता हूँ, इस सरकार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करें, चुनाव आयोग नए चुनाव कराए।
फिलहाल हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। हालांकि खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जनता के दरबार में है और जनता उनके भाग्य का फैसला ईवीएम मशीन में 25 मई को कर देगी। हालांकि नतीजा 4 जून को पता चलेंगे की जनता का फैसला है क्या। अगर जनता का फैसला नायब सिंह सैनी के पक्ष में आता है, तब तो कोई बात नहीं मगर अगर जनता नाराज होती है और फैसला उलट जाता है तो यह माना जा रहा है कि विधानसभा के चुनाव 15 अगस्त के पहले हो सकते हैं। मगर यह सब कुछ 4 जून को ही पता चलेगा।
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