खरी – अखरी : इतिहास लिखेगा लोकतंत्र का हत्यारा मीडिया!!!
धर्म की राजनीतिक जमीन पर अधर्म की फसल उगाई जाती है। राम के नाम पर वोट मांगने वाला कुनबा अपने और अपने गठबंधन के उम्मीदवारों के ऊपर लगने वाले बलात्कार – यौन उत्पीड़न जैसे घिनौने आरोप पर चुप्पी साध लेता है। कर्नाटक से आये ताजातरीन मामले ने तो “भूतो न भविष्यति” की तस्वीर पेश कर दी है। अभी तक तो हर राजनीतिक दल और उनके गठबंधन में गिनती करने लायक बलात्कार आरोपियों का जमावड़ा है मगर यह पहली बार सामने आया है कि बीजेपी के गठबंधन के सहयोगी दल जनता दल (सेकुलर) में एक ऐसा भी शक्स है जिसके कथित बलात्कार और यौन उत्पीड़न की गिनती करना ही संभव नहीं है। हर आयु वर्ग की सैकड़ों महिलाओं के साथ कथित बलात्कार और यौन संबंध बनाकर ब्लैकमेल करने के लिए खुद ही वीडियो बनाने वाले प्रज्जवल रेवन्ना का नाम अपने आप में एक गैंग और सरगना के रूप में सामने आया है। जैसी खबरें आ रही हैं उससे तो यही लगता है कि प्रज्जवल ने अपनी ताकत और अपने रसूख का फायदा उठाते हुए अपने जाल में साधारण परिवार, राजनीतिक परिवार, पार्टी कार्यकर्ता परिवार की महिलाओं को फांसने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। प्रज्जवल किसी साधारण परिवार का सदस्य नहीं है बल्कि हाई-प्रोफाइल राजनीतिक परिवार का सदस्य है। वह खुद हसन संसदीय क्षेत्र से जनता दल (सेकुलर) का सांसद है, दादा HARADANAHALLI DODDEGOWDA DEVE GOWDA 1996 – 97 में भारत के 11वें प्रधानमंत्री रह चुके हैं, पिता एच डी रेवन्ना कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुका है, भाई सूरज रेवन्ना एमएलसी है, माँ भवानी रेवन्ना जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है। प्रज्जवल इस बार भी हसन संसदीय क्षेत्र से भाजपा गठबंधन (एनडीए) का उम्मीदवार है।
400 पार नाम जप कर रहे पीएम नरेन्द्र मोदी ने खुद अपने लक्ष्य को पाने के लिए मैसूर की चुनावी रैली में मंच पर हाजिर प्रज्जवल रेवन्ना को जिताने के लिए यह कहते हुए वोट मांगे कि वह “मोदी को मजबूती” देगा। देश का भविष्य तय करेगा। बताया जाता है कि कर्नाटक में हसन संसदीय क्षेत्र के सांसद प्रज्जवल रेवन्ना के सैक्स स्कैंडल के 2800 से ज्यादा वीडियो वायलर हो चुके हैं जिसमें वह हर दूसरे वीडियो में अलग – अलग उम्र की महिलाओं के साथ कतिथ बलात्कार और यौन संबंध बनाते हुए दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट कहती है कि वह बलात्कार करने के बाद पीड़ित महिलाओं को ब्लैकमेल करने के लिए खुद ही वीडियो भी बनाता था। बताया जाता है कि जिस महिला ने प्रज्जवल के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट लिखाई है उसमें उसने उसके पिता एचडी रेवन्ना को भी आरोपी बनाया है।
प्रज्जवल रेवन्ना के सैक्स स्कैंडल का वीडियो सामने आने के बाद से बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मीडिया पर लगातार सवालों के साथ ही गंभीर आरोप लगाये जा रहे हैं। बताया जाता है कि प्रज्जवल रेवन्ना के सैक्स वीडियोज की जानकारी कर्नाटक में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष तक को थी। पीएम के पास हर तरह का खुफिया विभाग भी होता है। सवाल है कि क्या किसी ने पीएम नरेन्द्र मोदी को प्रज्जवल के कुकर्मों की जानकारी नहीं दी थी या फिर सब कुछ जानते हुए भी अनदेखा किया गया कि अबकी बार 400 पार जाना है। बताया जाता है कि कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष को मालूम था कि प्रज्जवल के सैक्स स्कैंडल के वीडियो उनके साथ ही तकरीबन 2976 वीडियो कांग्रेस नेताओं के पास हैं अगर उसे गठबंधन का उम्मीदवार बनाया गया तो ये वीडियो बीजेपी के खिलाफ ब्रह्मास्त्र का काम कर सकता है। एक बात और परिवारवाद को 365 दिन 24 घंटे पानी पी – पी कर कोसने वाले नरेन्द्र मोदी को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षी स्वार्थपूर्ति के लिए किसी भी परिवारवादी को गले लगाने में कोई दिक्कत नहीं है। इसी तरह भृष्टाचारियों को जेल भेजने की तोतारटंत करने वाले मोदी को सत्ता से चिपके रहने के लिए भृष्टाचारी गटर में डूबकर भी भृष्टाचारियों को गले लगाने से परहेज नहीं है। इसी को कहते हैं खाने और दिखाने के दांत। पिछले दस साल से मोदी इसी तरह की अपनी उडंतबाजी से देश का कीमती समय खराब कर रहे हैं।
प्रज्जवल रेवन्ना का कथित यौनाचार सामने आने के बाद मोदी ने अपने भाषण में इसके बारे में एक शब्द नहीं बोला उल्टे कांग्रेस और विपक्ष के लिए विषवमन करने से चूक नहीं करते। नरेन्द्र हुगली में वोटों की फसल काटने के लिए कांग्रेस पार्षद निरंजन हिरमेत की बिटिया की हत्या को मुद्दा इसलिए बनाते हैं कि आरोपी मुसलमान है। हुगली की शर्मनाक घटना को साम्प्रदायिक रंग देते समय मोदी को यह ध्यान क्यों नहीं रहता कि वे एक ऐसे शक्स के लिए वोट मांग रहे हैं जिसने यौन उत्पीड़न की सारी सीमाओं को लांघ दिया है। बागलाकोट की सभा में पीएम मोदी कहते हैं – कांग्रेस क्राईम को कंट्रोल करने के बजाय एंटी सोशल और एंटी नेशनल माइंड सैट को बढावा दे रही है। हुगली में कुछ दिन पहले हमारी बेटी के साथ जो हुआ उसे देखकर पूरा देश चिंतित है। हर मां-बाप को कर्नाटक में अपनी बेटी की चिंता सता रही है। किसके कारण – कांग्रेस के पाप के कारण। क्या कांग्रेस आपकी बेटी की रक्षा कर सकती है, क्या आप उनके भरोसे बेटियों को पढ़ा – लिखा सकते हैं। कालेज कैम्पस में दिन दहाड़े आरोपी में ऐसा कदम उठाने की हिम्मत आई कैसे। उन्हें पता है वोट बैंक के भूखे लोग कुछ दिनों बाद उनको बचा लेंगे। इसलिए ये पाप करने की हिम्मत आई। इस क्राईम ने हमारी बेटियों की सुरक्षा के संबंध में गंभीर सवाल खड़े किए हैं। खराब कानून व्यवस्था कांग्रेस सरकार की पहचान बन चुकी है”। मगर नरेन्द्र मोदी ये भूल जाते हैं कि उत्तर प्रदेश में उनकी अपनी भाजपा की सरकार है और वे जिस संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सांसद हैं वहां भाजपा आईटी सेल से जुड़े लड़कों द्वारा बीएचयू कैम्पस में एक छात्रा को चाकू की नोक पर रखकर उसके कपड़े उतरवाये जाते हैं, उसका वीडियो बनाया जाता है फिर उसका बलात्कार किया जाता है। कालेज की छात्राएं धरना प्रदर्शन करती हैं मगर विपक्षियों, विजातीयों और गरीब गुरबों के घर पर नियम कानून को जूते की ठोकर पर रखकर उनके घरों पर बुलडोजर चलवाने वाली योगी आदित्यनाथ की पुलिस दोषी लड़कों को गिरफ्तार तक नहीं करती। बलात्कार के आरोपी मध्यप्रदेश में भाजपा का प्रचार करने चले आते हैं। कर्नाटक सरकार ने तो चंद समय के भीतर ही एफआईआर दर्ज होने के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है जिसमें 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल किए गए हैं। प्रज्जवल ने तो 26 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होने के बाद ही भारत को टा-टा, बाय-बाय करते हुए जर्मनी का रुख कर लिया।
कांग्रेस और विपक्षियों की हर हरकत पर उछलकूद करने वाली मंत्राणी तो अभी तक बेंगलुरु एयरपोर्ट पर धरने पर नहीं बैठी हैं न ही घोषणा की है कि वे तब तक अमेठी की जनता से वोट मांगने नहीं जायेंगी जब तक प्रज्जवल रेवन्ना को जर्मनी से लाकर कानून के हवाले नहीं कर दिया जायेगा। न ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने विदेश मंत्री को जर्मनी जाकर बलात्कार के आरोपी प्रज्जवल को लाने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि “कांग्रेस पार्टी आज टुकड़े टुकड़े गैंग की सुल्तान बनकर घूम रही है। देश को बांटने, तोड़ने और कमजोर करने के लिए कांग्रेस पार्टी के इरादे आज भी वैसे ही हैं। लेकिन वे जनता को यह नहीं बताते कि वे जिस उम्मीदवार प्रज्जवल रेवन्ना के लिए वोट मांगने आये हैं वह अपने आप में एक गैंग और सरगना दोनों है। सवाल यह है कि आखिर प्रज्जवल रेवन्ना के ऐयाशी भरे वीडियो किसने वायरल किए भाजपा के कार्यकर्ताओं ने या फिर कांग्रेस के लोगों ने ! वीडियो लीक होने के पीछे प्रज्जवल के ड्राइवर भाई सूरज या कार्तिक नाम के लड़के का हाथ होने की चर्चा है। चर्चा तो इस बात की भी है कि प्रज्जवल ने अपने सारे कुकर्मों को अपने लेपटॉप में सेव करके रखा था और वे वहीं से लीक हो गये ठीक करोना वायरस की तरह।
लोकतंत्र के हत्यारे गोदी मीडिया को तो सांप ही सूंघ गया है। उसने तो प्रज्जवल रेवन्ना के सैक्स स्कैंडल पर मरघटाई चुप्पी साध ली है। अगर यही हरकत किसी कांग्रेसी या विपक्षी दल के किसी व्यक्ति ने की होती तो गोदी मीडिया सब कुछ छोड़छाड़ कर दिन रात प्राइम शो कर रहा होता। कुछेक गोदी मीडिया ने तो अपने एंकर को जर्मनी भेज दिया होता। भारत के राजदूत का इंटरव्यू भी ले लिया गया होता। जहां तक राजनीति के अपराधीकरण और साम्प्रदायिकरण की बात है तो इसके लिए अकेले भाजपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। राजनीति के अपराधीकरण और साम्प्रदायिकरण की बेल तो कांग्रेस ने रोपी है और सभी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संस्थाओं ने भी उस अमर वेल को हरा-भरा रखने में योगदान दिया है। आज की स्थिति में भाजपा उसे न केवल पाल-पोस रही है बल्कि उससे अपने राजनैतिक खेत में हल भी चलवा रही है।
खबर है कि जनता दल (एस) प्रज्जवल रेवन्ना को पार्टी से बर्खास्त कर दूरी बनाने की नौटंकी कर रही है। जबकि कुछ दिन पहले तक जेडी(एस) नेता पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी प्रज्जवल को अपना बेटा बताते हुए उसके लिए वोट मांग रहे थे। एक बात तो खुलकर उजागर होने लगी है कि जब कोई नेता बहुत अधिक धर्म का नाम लेने लगे, धर्म रक्षक बनने लग जाए और पूरी राजनीति धर्म के नाम पर करने लग जाए तो मानना चाहिए कि वह अपने कुकर्मों को धर्म की आड़ में छुपाने की कोशिश कर रहा है। धर्म की दुकान चलाने वाले स्वामियों को भी चौकन्ना रहना चाहिए कि उनके पास संरक्षण मय आशीर्वाद मांगने आने वाला पावर और पैसे से लैस नेता कितना बड़ा धर्मी या अधर्मी है। वैसे मीडिया तो चंद टुकड़ों के लालच में अपने जमीर को बेचकर बड़े से बड़े कुकर्मी को कर्मवीर बनाने के काम में तन्मयता के साथ लगा हुआ दिखाई दे रहा है।
जो आदमी मणिपुर में महिलाओं के निर्वस्त्र किये जाने वाली घटना की निंदा करने का साहस नहीं जुटा पाता उल्टे अपनी शर्मिंदगी को छुपाने के लिए कांग्रेस सरकार में हुई घटना के पल्लू में अपना मुंह छिपाता है, संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुई बलात्कारी घटना पर श्मशानी चुप्पी साध लेता है, महिला पहलवानों के साथ भाजपा सांसद द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न पर कार्रवाई करने के बजाय दोषी सांसद को न केवल संरक्षण देता है बल्कि अपनी पुलिस से शांति के साथ धरना दे रही महिला पहलवानों को सड़क पर घसिटवाता है, लातों – जूतों से मरम्मत करवाता है, उससे तो यह उम्मीद कतई नहीं की जा सकती कि वह कर्नाटक में 7 मई को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के पहले यह घोषणा कर दें कि उसकी पार्टी जनता दल (सेकुलर) से संबंध तोड़ती है।
अंध भक्त और गोदी मीडिया हरदम यह अलापता रहता है कि साहब की लोकप्रियता के कारण ही वोटों की झड़ी लग रही है तो सवाल है कि फिर उनके साहब ऐसे लोगों के कुनबे से अनैतिक समझौते कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल क्यों कर रहे हैं जिनको उनकी सरकार की जांच ऐजेंसियां, उनकी पार्टी और स्वंय वे भृष्टाचारियों का सरगना बताते रहे हैं । दरअसल इस लोकप्रियता के पीछे का सच यह है कि कभी उसके पीछे प्रफुल्ल पटेल नजर आता है तो कभी प्रज्जवल रेवन्ना। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी का नारी सशक्तिकरण और बेटी बचाओ का नारा पूरी तरह से खोखला है। ऐसा नहीं है कि भाजपा कार्रवाई नहीं करती – करती है। मोदी ने जब राजस्थान में मुसलमान – मुसलमान का पहाड़ा पढ़ना शुरू किया तो भाजपा की अल्पसंख्यक मोर्चा के एक नेता उस्मान गनी ने मोदी के इस जाप की निंदा कर दी तो उसे तुरंत पार्टी से निकाल दिया गया। इतना ही नहीं उसे सलाखों के पीछे भी भिजवा दिया गया। पार्टी नेताओं की लाज बचाने के लिए शर्मा की भोलीभाली पुलिस कह रही है कि गनी ने पुलिस स्टेशन में आकर पुलिस वालों के साथ झगड़ा किया था इसलिए उसे शांति भंग के केस में जेल भेजा गया है।
देश में ऐसी छद्म चकाचौंधी मृगमरीचिका फैला दी गई है कि समस्त ब्रम्हांड में सिर्फ “लोकतंत्र की माता” (मदर आफ डेमोक्रेसी) और “जगत गुरु” (विश्व गुरु) का मुखौटा पहने नेता की जयजयकार हो रही है। दुनिया में भारत का सम्मान ऐसा बढ़ा है कि संघ के हिन्दू ध्वज की पताका पृथ्वी की कक्षा से बाहर अंतरिक्ष में लहरा रही है तभी तो मानसिक रूप से गुलाम हो चुके अंध भक्त कह रहे हैं हम उन्हें लायेंगे जो राम को लाये हैं। इस अद्भुत अवतार की पालकी बना हुआ है चुनाव आयोग और कहार का दायित्व उठा रहा है सुप्रीम कोर्ट। विडंबना ही कही जा सकती कि “बसन्ती इन कुत्तों के आगे मत नाचना” किसी फिल्म का डायलॉग तो हो सकता है असल जिन्दगी का नहीं।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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