वैवाहिक रिश्ते से मना करना और बच्चों को स्वीकार न करना मानसिक क्रूरता, हाई कोर्ट ने दी टिप्पणी
शादी से इनकार करना , बच्चे की जिम्मेदारी ना उठाने पर हाई कोर्ट ने लिया एक कड़ा फैसला
पत्नी से दूर व्यवहार करने के आरोप में पति को झड़काया।
खबरी प्रशाद प्रेरणा ढिंगरा
दिल्ली हाई कोर्ट ने शादी पर एक अहम फैसला लिया है, जिसके चलते कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक रिश्ते को अस्वीकार करना और बच्चे की जिम्मेदारी ना उठाना मानसिक तौर से पीड़ा पहुंचना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में क्रूरता का शिकार महिला है, ना कि पुरुष।
जानिए पूरा मामला क्या था
हाई कोर्ट में एक याचिका दर्ज हुई, जिसमें पति ने पत्नी पर आरोप लगाया है कि शराब के नशे में यौन संबंध बनाने के बाद उस पर शादी का दबाव डाला गया । दरअसल लड़के ने बताया कि वह उस लड़की से 2004 में मिला। 1 साल बाद हम दोनों ने आपस में शादी कर ली। शादी जोर जबरदस्ती से हुई। लड़के का कहना है कि वह नशे में था, जब उसे महिला ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद वह गर्भवती हो गई और उसके ऊपर शादी का दबाव बनाने लगी। लड़के ने यह भी बताया कि वह लड़की उसे आत्महत्या करने की धमकी भी दिया करती थी। पति ने आरोप लगाया है कि उसका कई पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध है।
पत्नी ने कोर्ट को बताया कि उसके साथ गलत हुआ है। महिला का कहना है कि 2010 में जब उसकी लड़की पैदा हुई तब लड़के के घर वालों ने उस बच्ची को स्वीकार करने के लिए मना कर दिया। पत्नी का कहना है कि पति की नौकरी छोड़ने के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उसी के कंधों पर आ गई। महिला का कहना था , कि उसका पति उसके बच्चों की देखभाल करने में असफल है।
कोर्ट ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
हाई कोर्ट के सामने पति पत्नी के नाजायज संबंध साबित नहीं कर पाया। तब कोर्ट ने कहा कि “पति ने आत्महत्या करने की धमकियों और आपराधिक मामलों में फसाने के संबंध में असामान्य आरोप लगाए हैं। जैसे कि हम पहले ही कह चुके हैं यह पत्नी है जो क्रूरता का शिकार ना कि पति”। यह बोलकर कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी।
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