खरबूजा गर्मी के मौसम में कितना फायदेमंद फल ,खरबूजे के इतने फायदे शायद पता नही होंगे !!!!!
खरबूजे : डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है
खरबूजे का परिचय
प्रकृति ने आपके खाने के लिए कई फल बनाएं हैं, जो मौसम के अनुकूल पैदा होते हैं। इसके उचित सेवन से मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है। गर्मियों में खरबूज, ककड़ी, तरबूज जैसे फल मिलने शुरू हो जाते हैं। गर्मी से मुरझाया शरीर और मन दोनों इसे खाते ही तरोताजा हो जाते हैं। खरबूज अपनी मिठास एवं स्वाद के लिये अत्यन्त लोकप्रिय है। खरबूज के बीजों की गिरी का उपयोग पकवान तथा विभिन्न प्रकार की मिठाईयों में मेवे के रूप में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि खरबूज का प्रयोग आप एक औषधि के रूप में भी कर सकते हैं?
आयुर्वेद में बताया गया है कि खरबूजा शरीर को सशक्त बनाने वाला फल है जिसमें तत्व कैल्शियम, लौह, विटामिन ए और विटामिन सी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसके साथ ही खनिज लवण की भी इसमें प्रचूरता होने से यह स्कर्वी जैसे रोगों से शरीर की रक्षा करता है। पुराने उकवत या एक्जीमा से पीड़ित रोगी के लिए यह बहुत लाभदायक है। खरबूजे के फलों (muskmelon fruit) का सेवन मूत्र विकार संबंधी रोगों में लाभकारी होता है। त्वचा रोग एक्जिमा में इसके फलों का रस लगाना लाभकारी होता है। पौष्टिक होने के बाद भी खरबूज में कैलोरी काफी कम होती है। आइए जानते हैं कि एक औषधि के रूप में आप खरबूज का प्रयोग कैसे कर सकते हैं।
खरबूज क्या है
खरबूज, ककड़ी, फूट ये सभी एक ही जाति के फल (muskmelon fruit) हैं। भारतवर्ष के अलग अलग राज्यों एवं स्थान भेद से रूप रंग एवं स्वाद की विभिन्नता के कारण इसकी कई उपजातियां मिलती हैं, किन्तु गुणों की दृष्टि से इनमें कोई विशेष अन्तर नहीं है। खरबूज के बीजों (magaz seeds) में 40-50 प्रतिशत तेल पाया जाता है। खरबूज का उपयोग सलाद के रूप में तथा कच्चे फलों का उपयोग ग्रामीण क्षे़त्रों में सब्जी के रूप में भी किया जाता है। खरबूजे के फलों को मुख्यतः ताजा खाया जाता है।
हालांकि खरबूज कई रंगों में मिलता है, लेकिन सामान्यतः यह पकने पर हरे से पीले या नारंगी रंग का हो जाता है। इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं। इसकी लता पतली, जमीन पर फैलने वाली, तरबूज की बेल जैसी, वर्षायु और मोटी जड़ वाली होती है। इसमें 90 प्रतिशत तक पानी होता है, इसलिए गर्मियों में इसे खाने से बहुत लाभ होता है। खरबूज का पूरा पका हुआ फल ही खाने योग्य होता है। इसके बीजों को ही मगज कहते हैं जिसका प्रयोग मिठाइयों और पकवानों को बनाने में किया जाता है।
खरबूजा ठंडा, मीठा, पौष्टिक, बलकारक तथा पचने में भारी होता है। पके हुए खरबूजे खाने से कब्ज नहीं होता है, त्वचा मुलायम होती है, पेशाब संबंधित रोग दूर होते हैं, पौरुष शक्ति बढती है। खरबूजा वात और पित्त को शान्त करता है। अगर शरीर में जलन हो या थकान और बेचैनी हो रही हो तो खरबूजे के शरबत के सेवन से आराम मिलता है।
अनेक भाषाओं में खरबूज के नाम
खरबूज का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम कुकुमिस मेलो (Cucumis melo Linn.) है। इसे Syn-Cucumis acidus Jacq. के नाम से भी जाना जाता है। यह कुकुरबिटेसी कुल (Cucurbitaceae) का पौधा है। इसका अंग्रेजी नाम मेलन (Melon), मश मेलन (Mush melon), राक मेलन (Rock melon), मस्क मेलन आदि हैं। अन्य भारतीय भाषाओं में इसके नाम नीचे दिए जा रहे हैंः-
Hindi – खरबूज, खरबूजा, खर्बूजा, चिबुड
Sanskrit – दशाङ्गुल, खर्बूजम्, मधुपाक, मधुफल षड्भुजा
Urdu – खरबुजाह (Kharbujah)
Kannada – षड़भुजा (Shadbhuja), कूडेमकयी (Kudemkayi)
Gujarati – शकरातेती (Shakarateti), चीबडू (Chibdu)
Telugu – खरबूज (Kharbuj), खरबुजादोसा (Kharbujadosa), पेड्डाकायी (Peddakai)
Tamil – वेल्लरीकाई (Vellarikkai), काकरीक्कायी (Kakarikkai)
Bengali – खरमुज (Kharmuj), फूटी (Phuti)
Nepali – खर्बुर्जा (Kharburja)
Marathi – खरबूजा (Kharbuja), चिबुण्डा (Chibunda)
Arabic – बत्तीघ (Battigh), दम्मीरी (Dummeiri), काऊन (Kauun)
Persian – खरबुजह (Kharbuzeh)
खरबूजा के औषधीय प्रयोग से लाभ
वजन कम करने में भी खरबूजा काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें शुगर और कैलोरी की मात्रा ज्यादा नहीं होती है। आप खरबूज का प्रयोग कर कई बीमारियों को ठीक करने का काम कर सकते हैं। आप खरबूजा का औषधीय प्रयोग इन तरीकों से कर सकते हैंः-
सरदर्द में आराम दिलाए खरबूज का सेवन
खरबूजे की बीज (magaz seeds) को घी में भूनकर मिश्री की चासनी में डालकर सेवन करें। इससे सिरदर्द में बहुत आराम मिलता है। चाहें तो इसमें इच्छानुसार मावा डालकर लड्डु बना ले सकते हैं।
गले की जलन मिटाए खरबूजे का प्रयोग
खरबूजे के बीजों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गले की जलन में बहुत आराम मिलता है।
चेहरे के दाग-धब्बे (चेहरे की झाई) मिटाए खरबूजे का प्रयोग
खरबूजे के बीजों तथा फल के छिलकों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, झांई आदि मिट जाते हैं। यह प्रयोग चेहरे को कोमल बनाता है तथा चेहरे पर चमक लाता है।
सीने की जलन दूर करे खरबूजे का सेवन
खरबूज बीज (2 ग्राम) तथा खीरे के बीजों (2 ग्राम) को मिलाकर पीसकर उसमें आधा ग्राम काली मिर्च तथा 5 ग्राम मिश्री मिलाकर घोट-छानकर पिलाने से सीने की जलन में आराम मिलता है।
पेट की गैस में आराम दिलाए खरबूजा का उपयोग
अकसर छोटे बच्चों का पेट फूल जाता है और दर्द करने लगता है। बच्चा बहुत रोता है, माँ समझ नहीं पाती कि बच्चा क्यों रो रहा है। ऐसी हालत में खरबूजे के बीज को पीसकर गुनगुना करके बच्चों के पेट पर लेप करने से पेट की गैस निकल जाती है और दर्द में आराम मिलता है।
खरबूज के इस्तेमाल से लगती है दस्त पर रोक
दस्त की शुरुआती अवस्था में जब आँव, कफ तथा दुर्गन्धयुक्त मल बार-बार हो रहा हो तो खरबूज के गूदे में सोंठ, काली मिर्च तथा जीरा चूर्ण को डालकर ऊपर से सेंधा नमक डालकर खाएं। इससे आँव का पाचन होकर मल की दुर्गन्ध समाप्त होगी तथा अपानवायु (गैस) का निकलना बन्द होगा।
मूत्र रोग (पेशाब से संबंधित रोग) में खरबूजे से लाभ
पेशाब संबंधित समस्याओं में खरबूजे के फल का सेवन करना चाहिए। इससे मूत्र संस्थान की सारी समस्याओं का निवारण होता है।
खरबूजे की बीज में मिश्री तथा काली मिर्च मिलाकर खिलाने से पेशाब की वृद्धि होती है तथा मूत्र विकार का खत्म होते हैं।
इसके बीज को पीसकर, दूध में मिलाकर पीने से मूत्रनली की जलन शांत होती है।
खरबूज के 5-10 ग्राम बीज चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने से मूत्र त्याग में होने वाला दर्द एवं कठिनाई दूर होती है।
किडनी विकार (गुर्दे का दर्द) में खरबूजे से फायदा
गूर्दे में दर्द होने का मुख्य कारण है पथरी का होना। खरबूज में पथरी को गलाने की शक्ति होती है। खरबूज के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर पानी में मिलाकर सेवन करने से गुर्दे के दर्द में आराम मिलता है। इससे पथरी भी गल कर निकल जाती है। खरबूजा गूर्दे की सफाई भी करता है।
सिफलिस (उपदंश) में खरबूज का प्रयोग फायदेमंद
उपदंश यानी सिफलिस एक यौन रोग है। 5 ग्राम खरबूजे के बीजों को पानी में पीसकर, उसमें 15-20 बूंदें चन्दन का तेल मिला लें। इसका सेवन करने से सिफलिस (उपदंश) में लाभ होता है।
त्वचा रोग (सोरायसिस) में लाभकारी है खरबूज का उपयोग
त्वचा पर होने वाले सोरायसिस रोग को हिन्दी में विचर्चिका या अपरस रोग भी कहते हैं। यह एक बहुत ही कष्टदायक रोग है। इस रोग में पूरे शरीर में कहीं भी खुजली हो जाती है। यह रोग स्त्री या पुरुष किसी को भी किसी भी आयु में हो सकता है। सोरायसिस होने पर खरबूजे के फलों को पीसकर लगाने से लाभ होता है। खरबूजा त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। जहाँ इसका सेवन त्वचा सम्बन्धी समस्याओं को अंदरूनी तौर पर ठीक करता है, वहीं इसके लेप से त्वचा पर होने वाली जलन में भी राहत मिलती है।
खरबूजे के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी
खरबूजे के बीज का रोजाना सेवन करने से मनुष्य का शरीर पुष्ट होता है तथा शारीरिक कमजोरी दूर होती है। प्रोटीन की अधिकता के कारण यह हड्डियों, बालों और नाखूनों के लिए भी फायदेमंद होता है।
लू लगने से बचाए खरबूजा का उपयोग
गर्मियों में अक्सर लू लगने की समस्या होती है। लू लगने पर खरबूज के बीजों को पीसकर सिर पर तथा समस्त शरीर पर लगाएँ। इससे लू के कारण होने वाली जलन, दर्द तथा बुखार आदि समस्याएं ठीक होती हैं तथा शरीर में ठंडक मिलती है।
एसिडिटीज की समस्या में खरबूजे के सेवन से फायदा
खरबूजे के छोटे-छोटे टुकड़ों में देसी खाण्ड मिलाकर उसका शरबत बनाकर नियमित सेवन करें। इससे शरीर में बढ़े हुए पित्त का प्रभाव घट जाता है। इससे पित्त के कारण होने वाले रोगों में आराम मिलता है। इससे एसिडिटीज ठीक होती है।
इस्तेमाल के लिए खरबूजे के उपयोगी हिस्से
औषधि के रूप में खरबूज के उपयोगी भाग हैं –
फल
बीज (magaz seeds)
जड़
खरबूजे के सेवन की मात्रा
खरबूजे के बीज का चूर्ण – 5-10 ग्राम
औषधीय रूप से खरबूजे का इस्तेमाल करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
खरबूजा से नुकसान
खरबूजे के सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
खरबूजा को खाने से पहले थोड़ी देर ठंढे पानी में डालकर रखना चाहिए तथा भोजन के कुछ देर बाद ही इसका सेवन करना ठीक होता है।
खाली पेट या भोजन के पहले खाने से शरीर में पित्त-प्रकोप यानी एसिडिटी होने की की संभावना बढ़ जाती है। किसी-किसी को पित्त के कारण होने वाला बुखार भी हो जाता है।
खरबूजा (kharbooja) बहुत ही ठण्डा और सुगन्धित होता है, इसलिए जिनको बहुत ज्यादा जुकाम तथा खाँसी रहती हो या जिनकी पाचन क्रिया कमजोर हो, उन्हे खरबूजा नहीं खाना चाहिए।
खरबूजा खाने के बाद पानी और दूध का सेवन हानिप्रद है।
खरबूजा खाने के तुरंत बाद पानी पीने से हैजा होने की आशंका रहती है।
इसे उचित मात्रा में खाने के बाद एक गिलास शक्कर का शर्बत पीना पाचन के लिए विशेष उपयोगी है।
खरबूजा कहाँ पाया या उगाया जाता है
भारत में नदियों के किनारे तथा उष्ण व शुष्क प्रदेशों में इसकी खेती की जाती है। खरबूज (muskmelon) की खेती के लिए काली रेतीली जमीन ज्यादा अनुकूल होती है। खेत में क्यारी बनाकर खरबूजे का बीज लगाया जाता है। इसकी बेल जमीन में ही फैलती हैy। बिहार,उत्तर प्रदेश,पंजाब,राजस्थान और मध्यप्रदेश मे खरबूजे की खेती होती है।
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