हांगकांग में एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों को किया गया बैन
भारतीय रसोई बिना मसाले के संभव नहीं। खाने में अगर मसाले ना हो तो स्वाद नहीं आता है। महिलाओं के अगर खाने की तारीफ होती है तो उसमें कहीं ना कहीं मसाले का हाथ भी होता है। सब जानते हैं कि भोजन को अगर स्वादिष्ट बनाना है मसालों का प्रयोग जरूरी होता है। मसाले भारतीय खाने की आन बान और शान होते हैं। मगर आपको यह पता चले की जो मसाले आप खा रहे हैं वो सही गुणवत्ता वाले नहीं है तो क्या होगा। ऐसा ही एक मामला हांगकांग में हुआ है। भारतीय मसालों के दो बड़े ब्रांड के कुछ मसालों को हांगकांग में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
हांगकांग के खाद्य नियामक प्राधिकरण, सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने निर्धारित किया है कि भारत में निर्मित मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट मसाला के चार उत्पादों में कैंसरकारी तत्व शामिल हैं। खाद्य और पर्यावरण स्वच्छता विभाग के तहत खाद्य सुरक्षा केंद्र (सीएफएस) ने 5 अप्रैल को एक बयान जारी कर खुलासा किया कि प्रीपैकेज्ड मसाला मिश्रण उत्पादों के विभिन्न ब्रांडों ने एथिलीन ऑक्साइड, एक कीटनाशक की उपस्थिति के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। सीएफएस जनता को प्रभावित उत्पादों का उपभोग न करने की दृढ़ता से सलाह देता है, साथ ही व्यापार से आग्रह करता है कि यदि उनके पास इन वस्तुओं की सूची में कुछ भी है तो वे इन वस्तुओं का उपयोग और बिक्री तुरंत बंद कर दें।
शामिल उत्पादों में एमडीएच द्वारा उत्पादित मद्रास करी पाउडर (मद्रास करी के लिए मसाला मिश्रण), एवरेस्ट द्वारा फिश करी मसाला, एमडीएच द्वारा सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर, और एमडीएच द्वारा करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर शामिल हैं। इन उत्पादों का निर्माण भारत में किया गया था और इनका विशिष्ट शुद्ध वजन और समाप्ति तिथियां हैं, जैसा कि आधिकारिक बयान में बताया गया है। जिम्मेदार वितरकों और आयातकों के साथ-साथ उनके संपर्क हॉटलाइन की भी पहचान की गई है।
सीएफएस के एक प्रवक्ता के अनुसार, नियमित खाद्य निगरानी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सिम शा त्सुई में तीन खुदरा दुकानों से नमूने प्राप्त किए गए थे। प्रयोगशाला परीक्षणों ने इन नमूनों में एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति की पुष्टि की, जिससे सीएफएस की ओर से तत्काल कार्रवाई की गई। “जनता को प्रभावित उत्पादों का उपभोग नहीं करना चाहिए। व्यापारियों को भी प्रभावित उत्पादों का उपयोग या बिक्री तुरंत बंद कर देनी चाहिए, यदि उनके पास कोई उत्पाद है।”
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने एथिलीन ऑक्साइड को समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है, जो इसके उपभोग से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को रेखांकित करता है। खाद्य पदार्थों में कीटनाशक अवशेष विनियमन (कैप. 132CM) के अनुसार, कीटनाशक अवशेषों वाले खाद्य पदार्थों की बिक्री निषिद्ध है यदि उनके सेवन से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा होता है। इस विनियमन का उल्लंघन करने वालों को दोषी पाए जाने पर अधिकतम $50,000 का जुर्माना और छह महीने तक की कैद का सामना करना पड़ सकता है।
एक अनुमान के अनुसार भारत में हर महीने लगभग 1200 करोड रुपए का मसाला उद्योग है। ऐसे में इन दो बड़े ब्रांड्स पर सवाल उठाना कहीं ना कहीं दूसरे ब्रांड पर भी सवाल खड़े करता है। यह पहला मौका नहीं है जब भारत के किसी ब्रांड पर भारत के बाहर सवाल खड़े किए गए हैं। अभी हाल ही में पतंजलि के शहद पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं।
मसाले भारत की संस्कृति, इतिहास और अर्थव्यवस्था का दिल हैं, जो अपने समृद्ध स्वाद और सुगंध से व्यंजनों को उन्नत बनाते हैं। प्राचीन काल से चली आ रही विरासत के साथ, भारत का मसाला व्यापार फला-फूला है, जिससे यह एक वैश्विक केंद्र बन गया है।
आज, भारत मसाला उत्पादन, उपभोग और निर्यात में अग्रणी है, जिससे दुनिया भर में इसकी अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक प्रभाव दोनों बढ़ रहे हैं। हालाँकि, चूँकि मसाले भोजन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए उन्हें वैश्विक खाद्य नियामकों की कड़ी जाँच का सामना करना पड़ता है।
हालांकि खबरी प्रशाद अखबार के द्वारा इन दोनों बड़े ब्रांड से पूरे मामले पर उनकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई है मगर खबर लिखे जाने तक किसी भी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया दोनों ब्रांड की तरफ से हमें नहीं प्राप्त हुई है। जैसे ही कोई प्रतिक्रिया उनकी तरफ से आएगी हमारे पाठकों तक उसे साझा किया जाएगा।
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