परांठें पर लगा 18% जीएसटी: हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखे मामले में अपना फैसला सुनाया
पराठे खाना हर एक व्यक्ति को अच्छा लगता है अमूमन तौर पर जब लोग अपने परिवार के साथ होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो रेस्टोरेंट के मेन्यू में विभिन्न तरीके के पराठे मिल जाते हैं । और लोग उन्हें में से कोई ना कोई एक पराठा अलग-अलग वैरायटी के पराठे अपने खाने में मंगवा लेते हैं । मगर क्या आपको पता है कि पराठे पर कितना टैक्स सरकार लेती है । दरअसल आज मामला पराठे पर टैक्स को लेकर अदालत में पहुंच गया और अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाया की पराठे पर टैक्स इतना ही लिया जा सकता है जबकि दूसरे पक्षी दलील थी कि पराठा अलग-अलग वैरायटी के साथ बनता है इसलिए टैक्स ज्यादा होना चाहिए । मगर बात स्वाद की थी इसलिए आपको भी मालूम होना चाहिए कि पराठे पर कितना टैक्स लगता है ।
क्या था पूरा मामला
अदालत ने कहा, ऐसे में पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना गलत है
तिरुवंतपुरम: केरल हाई कोर्ट में हाल ही में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया। लच्छा पराठा पर ज्यादा जीएसटी को लेकर एक याचिका हाई कोर्ट पहुंची। अदालत में इस मसले पर जोरदार बहस भी हुई। सुनवाई में अदालत ने पाया कि पराठे जिन सामग्रियों से तैयार हो रहे हैं, उन पर सिर्फ 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इस पर अदालत ने फैसला सुनाया कि ऐसे में पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना गलत है। बार एंड बेंच में छपि रिपोर्ट के अनुसार, मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। अदालत ने यह फैसला मॉडर्न फूड एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनाया। लिमिटेड ने सरकार के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें कहा गया कि पराठे पर 18% जीएसटी लगना चाहिए।
केरल हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) और अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएएआर) के आदेशों का हवाला देकर पराठे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने की वकालत की थी। जबकि, याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि उत्पाद सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, के अनुसार,गेहूं पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत है और लच्छा पराठे में इसी का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में जिन उत्पादों की मदद से लच्छा पराठा तैयार किया जाता है, अगर उस पर टैक्स 5 प्रतिशत है तो पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी क्यों लगाया जाना चाहिए?
सरकार की तरफ से अधिवक्ता ने इस दावे का विरोध करते हुए तर्क दिया कि सामग्री और प्रक्रिया अलग-अलग चीज हैं। गेंहू के आटे की तुलना पराठे से नहीं की जानी चाहिए। हालांकि अदालत ने सरकार की तरफ से पेश किए इस तर्क को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता की दलील को सही पाया। मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया कि लच्छा पराठे पर टैक्स नियमों के अनुरूप नहीं है, इसलिए इस पर 18 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत ही टैक्स वसूला जाना चाहिए।
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