कौन हैं मां चंद्रघंटा? त्रिदेव के क्रोध से हुआ था जिनका अवतरण
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा ना सिर्फ शक्ति का वरदान देती हैं बल्कि भक्तों के जीवन से भय को भी दूर करती हैं. माता के माथे पर अर्धचंद्र सजा हुआ है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.
आचार्य पं. सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. मां युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान हैं. मां चंद्रघंटा के हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार है. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसी वजह से ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. मां राक्षसों का वध करने वाली हैं. इनकी अराधना से इंसानों के सभी पाप नष्ट होते हैं.
कौन हैं मां चंद्रघंटा
चंद्रघंटा दुर्गा का तीसरा रूप हैं. इनके दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र सजे हुए हैं. इनकी पूजा करने वाला व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है. ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है. इनकी पूजा से व्यक्ति में विनम्रता आती है और उसका तेज बढ़ता है.
ये है मां के अवतरण के पीछे की कथा
पौराणिक मान्यता है कि धरती पर जब राक्षसों का आतंक बढ़ने लगा तो दैत्यों का नाश करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. उस समय महिषासुर नाम के दैत्य का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हथियाकर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था.
इसके बाद देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया. इन देवतागणों के क्रोध प्रकट करने पर मुख से एक दैवीय ऊर्जा निकली जिसने एक देवी का अवतार लिया. ये देवी मां चंद्रघंटा थीं. इन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, दिया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था.
ऐसा है मां का स्वरूप
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की उपासना होती है. माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. मां को सुगंधप्रिय है. उनका वाहन सिंह है. उनके दस हाथ हैं. माता के दस हाथ हैं. ये शेर पर विराजमान हैं. चंद्रघंटा अग्नि जैसे वर्ण वाली और ज्ञान से जगमगाने वाली देवी हैं.
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग
पूजा के समय आप मां चंद्रघंटा को सेब और केले का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग भी बहुत पसंद है. आप देवी को खीर का भोग लगा सकते हैं.
मां चंद्रघंटा का प्रिय फूल और रंग
आज के दिन आप मां चंद्रघंटा को पीले रंग के फूल या सफेद कमल का फूल चढ़ा सकते हैं.
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
अर्थात् श्रेष्ठ सिंह पर सवार और चंडकादि अस्त्र शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
आज प्रातः स्नान के बाद पूजा स्थान की सफाई करें. उसके बाद मां चंद्रघटा का जल से अभिषेक करें. उसके बाद अक्षत्, कुमकुम, फूल, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य आदि मां चंद्रघंटा को अर्पित करें. फिर उनके पूजन मंत्र का उच्चारण करें. उनको प्रिय भोग लगाएं. उनकी कथा सुनें. दुर्गा चलीसा का पाठ करें. उसके पश्चात मां चंद्रघंटा की आरती करें. इसके बाद मां चंद्रघंटा से क्षमा प्रार्थना करते हुए मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगें.
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
- मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस और निडरता बढ़ती है.
- यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह से जुड़ा कोई दोष है तो आप मां चंद्रघंटा की पूजा करें क्योंकि इस देवी का संबंध शुक्र ग्रह से है. इनकी पूजा से शुक्र ग्रह का दोष दूर हो जाता है.
3.पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए भी आपको मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए. - मां चंद्रघंटा परिवार की रक्षक हैं खासकर संतानों की. वे अपने संतानों को निडर बनाती हैं. उनमें साहस पैदा करती हैं.
- किसी वजह से आपका विवाह नहीं हो पा रहा है तो आपको मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए. उनकी कृपा से विवाह से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी.
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