चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, जानें पूजन विधि और विशेष मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थी और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है.
पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
माँ ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमण्डल रहता है
देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है
चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी का मतलब है तप का आचरण करने वाली. मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमण्डल रहता है. इस दिन उन कन्याओं की पूजा की जाती है जिनकी शादी तय हो गई है लेकिन अभी शादी हुई ना हो. इस दिन इन्हें अपने घर बुलाकर पूजा के बाद भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट करने चाहिए.
कैसा है मां ब्रह्माचारिणी स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली। इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली देवी। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है।
जानिए पूजा- विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर लें। साथ ही साफ सुखरे वस्त्र धारण कर लें। वहीं मांं ब्रह्मचारिणी का फोटो या चित्र स्थापित करें। वहीं अगर मांं ब्रह्मचारिणी का फोटो नहीं है तो आप नवदुर्गा मां का चित्र रख सकते हैं। इसके बाद दीव प्रज्वलित करें। इसके बाद मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें। वहीं प्रसाद में फल और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा, सप्तशती का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। साथ ही देवी को अरूहूल का फूल (लाल रंग का एक विशेष फूल) व कमल काफी पसंद है, उसकी माला पहनायें।
मां ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र पाठ
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति- मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता. जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो. ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा. जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता. जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए. उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने. रद्रक्षा की माला ले कर॥
जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर. आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुँचाना. ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥
पूर्ण करो सब मेरे काम. भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महतारी.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
– नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनें.
– मां को सफेद रंग की वस्तुएं दान करें.
– “ॐ ऐं नमः” मंत्र का जाप करें.
– पूजा के दौरान माता को सफेद रंग की चीजों का भोग लगाएं.
– माता के आगे घी का दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.+
नवरात्रि के दूसरे दिन का उपाय
इस दिन सफेद वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए. माता के मन्त्रों के साथ चन्द्रमा के मंत्रों का जाप भी करें. माता को चांदी की वस्तु भी समर्पित करें. इस दिन शिक्षा तथा ज्ञान के लिये मां सरस्वती की उपासना भी करनी चाहिए.
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