30 से 40 रु दर्जन इस दर से मृत्यु बेची जा रही है। केला खरीदे जरूर पर सावधान से
केशव भुराड़िया: नवरात्र का पर्व शुरू हो गया है और बहुत सारे लोग नवरात्र में फलाहार करते हैं या व्रत रखते हैं। व्रत रखने के दौरान लोग व्रत वाला खाना ही पसंद करते हैं और इस खाने के अंदर जो आइटम सबसे बड़ा है वह है केला।
मगर क्या आप जानते हैं आजकल बाजार में जो केला आ रहा है वह स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। ज्यादातर केला बेचने वाले कार्बोहाइड्रेट से केले को पका रहे जो शरीर को नुकसानदाई होता है और शरीर में धीरे-धीरे कैंसर जैसी बीमारियां पनपती है।
हम सभी केले पसंद करते हैं और इनका भरपूर स्वाद उठाते हैं परंतु अभी बाज़ार में आने वाले केले कार्बाइडयुक्त पानी में भिगाकर पकाए जा रहे हैं , इस प्रकार के केले खाने से 100% कॅन्सर या पेट का विकार हो सकता है ।
परंतु केले को कारबाइड का उपयोग करके पकाया है इसे कैसे पहचानेंगे :-
यदि केले को प्राकृतिक तरीके से पकाया है तो उसका डंठल काला पड जाता है और केले का रंग गर्द पीला हो जाता है . कृपया नीचे दिए फोटो को देखें साथ ही केले पर थोड़े बहुत काले दाग रहते हैं . परंतु यदि केले को कारबाइड का इस्तेमाल करके पकाया गया है तो उसका डंठल हरा होगा और केले का रंग लेमन यलो अर्थात नींबुई पीला होगा इतना ही नही ऐसे केले का रंग एकदम साफ पीला होता है उसमे कोई दाग धब्बे नहीं होते कृपया नीचे दिए फोटो को देखें ।
कारबाइड आख़िर क्या है ?
यदि कारबाइड को पानी में मिलाएँगे तो उसमें से उष्मा (हीट) निकलती है और अस्यतेलएने गॅस का निर्माण होता है जिससे गाँव देहातों में गॅस कटिंग इत्यादि का काम लिया जाता है अर्थात इसमें इतनी कॅलॉरिफिक वॅल्यू होती है की उससे एल पी गी गॅस को भी प्रतिस्थापित किया जा सकता है । जब किसी केले के गुच्छे को ऐसे केमिकल युक्त पानी में डुबाया जाता है तब उष्णता केलों में उतरती है और केले पक जाते हैं , इस प्रक्रिया को उपयोग करने वाले व्यापारी इतने होशियार नहीं होते हैं कि उन्हें पता हो की किस मात्रा के केलों के लिए कितने तादाद में इस केमिकल का उपयोग करना है बल्कि वे इसका अनिर्बाध प्रयोग करते हैं जिससे केलों में अतिरिक्त उष्णता का समावेश हो जाता है जो हमारे पेट में जाता है जिससे कि
- पाचन्तन्त्र में खराबी आना शुरू हो जाती है
- आखों में जलन
- छाती में तकलीफ़
- जी मिचलाना
- पेट दुखना
- गले मैं जलन
- अल्सर
- तदुपरांत ट्यूमर का निर्माण भी हो सकता है .
इसीलिए केले खरीदे जरूर पर सावधानी से। इसी तरीके से आमों को भी पकाया जा रहा है। अतः यदि कारबाइड से पके केलों और फलों का भी हम संपूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे तो ही हमें नैसर्गिक तरीके से पके स्वास्थ्यवर्धक केले और फल बेचने हेतु व्यापारी बाध्य होंगे अन्यथा हमारा स्वास्थ्य ख़तरे मे और केला जेब पर भरी पड़ सकता है ।
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