पंचकूला नगर निगम में भ्रष्टाचार का नया खेल ,50 लाख रुपए तक के काम पर किसी की निगाह नहीं क्योंकि ,
अधिकारियों ने अपनी पावर अपने जूनियर कर्मचारियों को कर दी ट्रांसफर
पंचकूला नगर निगम को अगर नवरत्न नगर निगम कहा जाए तो इसमें कोई अतिसयोक्ति नहीं है । यहां पर कई ऐसे ठेकेदार हैं और कई ऐसी कंपनियां है जो नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बिल्कुल नवरत्न ठेकेदार और नवरत्न कंपनियों के तरीके से काम करते हैं । ऐसे कई ठेकेदारों को और ऐसे कई कंपनियों के मुलाजियों को प्रतिदिन नगर निगम दफ्तर में देखा जा सकता है । हालांकि जब उनसे बात की जाती है तो उनका सिर्फ एक ही जवाब होता है कि बिल पास करवाने के लिए दफ्तर आना पड़ता है मगर सच्चाई इसके उलट होती है । बिल पास करवाना तो सिर्फ एक बहाना होता है दरअसल अधिकारियों से 50 लाख रुपए तक के कामों को पास करवाना होता है । और सारा भ्रष्टाचार का खेल इस 50 लाख रुपए से काम के काम पर ही शुरू हो जाता है । कैसे आगे पढ़िए !
अधिकारियों ने कर दी है अपनी पावर ट्रांसफर
दरअसल पंचकूला के कमिश्नर लेवल के अधिकारियों से लेकर XEN लेवल तक के अधिकारियों ने अपनी पावर अपने जूनियर कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दी है जिसकी वजह से कामों में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है । पहले आपको समझा देते हैं की पावर ट्रांसफर का खेल क्या है । पंचकुला नगर निगम के कमिश्नर ने अपनी पवार की ट्रांसफर जूनियर कमिश्नर को जूनियर कमिश्नर ने एससी को एससी ने xen को कुछ इस तरीके से पावर ट्रांसफर हो रही है । पावर ट्रांसफर का मतलब होता है कि अगर किसी अधिकारी ने अपनी पावर अपने जूनियर अधिकारी को दे दी है तो जूनियर अधिकारी की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह उस संबंधित टेंडर की फाइल पर साइन कर सकता है । इस तरह से बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार से बच जाते हैं और खेल भी सारा हो रहा है । अगर कहीं कोई मामला पकड़ा भी जाए तो समझिए कि जो निचले लेवल का कर्मचारी है पकड़ा वह जाएगा क्योंकि दस्तखत उसके हैं ।
50 लाख रुपए से नीचे के कई कामों में लीपापोती
50 लाख रुपए से नीचे के कई ऐसे काम पिछले कई महीनो में कागजों में ही हो रहे हैं । टेंडर पास हो रहे हैं टेंडर निकल भी रहे हैं , मगर कागजों में । जमीनी हकीकत में वह काम जो कागजों में हो रहा है जमीन पर नहीं दिखाई पड़ रहा । अगर ईमानदारी से 50 लाख रुपए से नीचे के हर एक काम की पड़ताल कर ली जाएगी , तो भ्रष्टाचार का सारा खेल निकलकर सबके सामने आ जाएगा मगर यह जांच करेगा कौन । क्योंकि पंचकूला नगर निगम में ऐसे कई मामले पिछले कई सालों से चल रहे हैं जिनमें जांच सिर्फ फाइलों में चल रही है । पंचकूला नगर निगम के अधिकारियों का फलसफा है भ्रष्टाचार करो पकड़े भी जाओ कुछ दिन के लिए सस्पेंड हो जाओ , फिर वापस ड्यूटी कहीं ना कहीं मिल ही जाएगी ।
वीआईपी शहर , तब है यह हाल
पंचकूला को हरियाणा के वीवीआईपी शहरों में गिना जाता है । जब पंचकूला जैसे शहर में जहां वीवीआईपी मोमेंट हमेशा रहती है, वहां पर भ्रष्टाचार का इतना बड़ा खेल चल रहा हो तो समझा जा सकता है कि दूसरे शहरों के नगर निगम में क्या हालात होंगे । मगर पिछले महीने ही सरकार बदलने के बाद से अधिकारियों में भी अब किसी प्रकार की कोई चिंता नजर नहीं आती । क्योंकि वह इस बात को समझ रहे सरकार अब चुनावी मोड में है और सरकार का यह वाला कार्यकाल अब कुछ महीनो का ही है । तो जितनी मेवा बटोर सकते हो दोनो हाथो से बटोर लो , ।
अब ऐसी स्थिति में परेशान तो हर हाल में जनता को ही होना पड़ता है । लेकिन नेताओं को यह समझ में आना चाहिए कि यह पब्लिक है सब जानती है । अंदर क्या है बाहर क्या है यह सब कुछ पहचानती है ।
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