पेंच : दीपेंद्र हुड्डा को छोड़नी पड़ेगी राज्यसभा सीट ,अगर लोकसभा चुनाव जीते तो ?
दीपेंद्र हुड्डा को लोकसभा का कांग्रेस उम्मीदवार बनाने पर फंसा पेच
अगर लो.स. चुनाव जीते तो राज्यसभा सदस्यता तत्काल हो जाएगी समाप्त, उपचुनाव में भाजपा के खाते में चली जायेगी रिक्त सीट
18वीं लोकसभा आम चुनाव की प्रक्रिया के छठे चरण में अर्थात 25 मई 2024 को हरियाणा प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर मतदान निर्धारित हैं जिसके लिए भाजपा ने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशियों का ऐलान ( खबर लिखे जाने तक ) होना बाकी है जो अगले कुछ ही दिनों मे हो सकता है ।
बहरहाल, जहाँ तक प्रदेश में हाई प्रोफाइल सीटों मे से एक , रोहतक लोकसभा हलके का विषय है, जिसे इस बार भी हॉट सीट माना जा रहा है, भाजपा ने एक बार पुन: मई, 2019 में निर्वाचित सांसद डॉ. अरविन्द शर्मा को पार्टी प्रत्याशी बनाया है । पिछले चुनाव में शर्मा ने इस सीट से लगातार तीन बार सांसद रह चुके कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को साढ़े सात हज़ार वोटों के अंतर से पराजित किया था एवं पहली बार रोहतक सीट पर भाजपा का कमल खिलाया था । बहरहाल, इस बात की प्रबल संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा एक बार फिर से दीपेंद्र को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है ।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और चुनाव कानूनों के जानकार हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण पॉइंट उठाते हुए बताया कि बेशक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के सुपुत्र दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से कांग्रेस पार्टी के सबसे सशक्त उम्मीदवार है परन्तु अगर पार्टी उन्हें इस बार इसी सीट से टिकट देने का निर्णय करती है, तो पार्टी आलाकमान तो इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि संभवत: दीपेंद्र रोहतक लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर नई गठित होने वाली 18वीं लोकसभा में कांग्रेस के सांसद तो बन जाएँ परन्तु ऐसी परिस्थिति में दीपेंद्र, जो वर्तमान में हरियाणा से राज्यसभा सांसद भी है, उनकी राज्यसभा सदस्यता तत्काल समाप्त हो जायेगी ।
हेमंत ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट), 1951 की धारा 69(2) का हवाला देते हुए बताया कि उसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति जो पहले से ही राज्यसभा का सदस्य है और ऐसी सदस्यता के दौरान वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है, तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट उसके लोकसभा सदस्य चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाएगी । इसलिए अगर आगामी रोहतक लोकसभा सीट के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से संभावित उम्मीदवार दीपेन्द्र चुनाव जीत जाते है, तो चुनावी नतीजे के दिन ही अर्थात 4 जून 2024 को ही जिस दिन उन्हें सम्बन्धित रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) द्वारा जीत का निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जाएगा, उसी दिन से दीपेन्द्र हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहेंगे ।
हेमंत ने आगे बताया कि चूँकि दीपेन्द्र हुड्डा का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल, 2020 से अप्रैल,2026 तक है, इसलिए उनके रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने की परिस्थिति में उनकी राज्यसभा सदस्यता 4 जून 2024 से समाप्त हो जायेगी एवं क्योंकि तब उनकी राज्यसभा सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक होगा, इसलिए 18वी लोकसभा आम चुनाव सम्पन्न होने के एक-दो माह बाद जब भारतीय निर्वाचन आयोग देश के विभिन्न राज्यों में रिक्त हुई उन सभी राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा, जहाँ जहाँ से मौजूदा राज्यसभा सांसद लोकसभा आम चुनाव में निर्वाचित होकर नई 18वीं लोकसभा सांसद बनेंगे, उन उपचुनाव की सूची में हरियाणा की उक्त रिक्त हुई राज्यसभा सीट भी शामिल होगी ।
हरियाणा विधानसभा का अंक गणित
अब क्योंकि मोजूदा 14 वी हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवम्बर 2024 तक है एवं आज की तारिख में जजपा के दस विधायकों द्वारा समर्थन वापिस लेने के बावजूद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के पास सदन में बेशक साधारण बहुमत है, इसलिए दीपेन्द्र की लोकसभा जीत से रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान भाजपा का उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित होकर अप्रैल, 2026 तक राज्यसभा जा सकता है ।
वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और बिजली मंत्री रणजीत चौटाला द्वारा मौजूदा हरियाणा विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद (हालांकि खबर लिखे जाने तक रणजीत का इस्तीफ़ा स्वीकार होना फिलहाल लंबित है) 88 सदस्यी हरियाणा विधानसभा सदन में भाजपा सरकार के पास 46 विधायकों का समर्थन है जिसमें भाजपा के अपने 40 विधायक जबकि उसे पांच निर्दलीय विधायकों (रणजीत को मिलाकर पहले 6 थे) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा ) के एक विधायक गोपाल कांडा का समर्थन प्राप्त है. अगर सोनीपत ज़िले की राई विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मोहन लाल बड़ोली सोनीपत लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बन जाते है, तो उनके विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद भाजपा के विधायक एक और घटकर 39 हो जाएंगे परन्तु उस परिस्थिति में सदन की कुल संख्या भी 88 से एक घटकर 87 हो जायेगी एवं तब सदन बहुमत का आंकड़ा भी घटकर 44 हो जाएगा. वहीं मुख्यमंत्री नायब सैनी के करनाल विधानसभा उपचुनाव, अगर वह उपचुनाव होता है, जीतने से भाजपा विधायक दल की संख्या बढ़कर 40 हो सकती है अर्थात अगर मौजूदा 14 वी हरियाणा विधानसभा में अंकगणित कुछ भी रहे, कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा के रोहतक सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा सांसद बनने की परिस्थिति में उनकी रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर करीब दो वर्ष के लिए अर्थात अप्रैल, 2026 तक भाजपा का राज्यसभा सांसद बन सकता है ।
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