बीजेपी ने काटा वरुण गांधी का टिकट , कांग्रेस ने दिया ऑफर ?
भाजपा का तेज तर्रार फायरब्रांड नेता है वरुण गांधी
बीजेपी ने लिया एक बड़ा फैसला कहा नहीं देंगे वरुण गांधी को टिकट। इस लोक सभा चुनाव में वरुण गांधी भाजपा से चुनाव लड़ने की संभावना नहीं के बराबर है ।
आपको बता दे कि एक तरफ जहां मेनका गांधी सुलतानपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी वही दूसरी तरफ भाजपा ने वरुण गांधी की टिकट काट दी है। पीलीभीत से टिकट कटने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सांसद वरुण गांधी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। सूत्रों से ऐसी खबर सामने आ रही थी कि बेटे के मोह मे आकर मेनका गांधी भी चुनाव से अपने कदम पीछे कर सकती है पर मेनका गांधी के बयान ने इस बात को गलत साबित कर दिया है।
आखिर क्या कहा मेनका गांधी ने
मेनका गांधी ने चुनाव न लड़ने की खबर को अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है कि वह अगले ही सोमवार को सुल्तानपुर जा रही है। मेनका गांधी के बयान से तो ऐसा लगता है कि वह बीजेपी पार्टी से नाराज नहीं है।
क्या अब गांधी परिवार एक होगा?
वरुण गांधी ने कई बार अपनी पार्टी बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया था मना जा रहा है , इसी वजह से भाजपा ने उनकी टिकट काटकर जितिन प्रसाद को दे दी, पर अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि गांधी परिवार एक हो सकता है। कई सालों से आपसी मतभेद ने गांधी परिवार को दो हिस्सों में कर रखा है। आपको बता दे की वरुण गांधी राहुल गांधी के रिश्ते में छोटे भाई लगते हैं। 40 साल पुरानी सियासी दुश्मनी के कारण दोनों परिवार अलग हो गए थे पर अब वरुण गांधी को टिकट न मिलने की वजह से कांग्रेस पार्टी ने अपनी तरफ से उन्हे चुनाव लड़ने का निमंत्रण दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन ने टिकट काटने पर भाजपा को निशाना बनाया है और वरुण गांधी को कांग्रेस पार्टी की ओर से न्योता दिया है। उन्होंने कहा है कि “वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए। अगर वह कांग्रेस में आते हैं तो हमें खुशी होगी और वरुण गांधी एक कद्दावर और बेहद काबिल नेता हैं”।
वरुण गांधी जो की 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे और 2009 में पहली बार बीजेपी पार्टी की ओर से सांसद बने थे। उस समय में वरुण गांधी का नाम यूपी की राजनीति के अंदर प्रमुख पर था। समय के साथ-साथ उनकी छवि कमजोर होती गई। पार्टी की ओर से उनके बयान की वजह से उन्हें पार्टी ने 10 साल से कोई बड़ा काम भी नहीं सोपा।
चाहे एनडीए गठबंधन हो गया इंडिया गठबंधन हो, दोनों गठबंधन में गांधी परिवार हमें देखने को मिलता है। हम उसी गांधी परिवार की बात कर रहे हैं जिन्होंने 70 साल से सत्ता को संभाला हुआ है और अब लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी संभावना है कि गांधी परिवार एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।
40 साल पुरानी दुश्मनी आखिर क्यों?
आपको बता दे की वरुण गांधी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के लड़के हैं। संजय गांधी की मौत से पहले दोनों परिवार आपस में घुल मिलकर रहते थे पर उनकी मौत के बाद गांधी परिवार आपस में बट गया। ऐसा कहा जाता है कि संजय गांधी की मौत के 2 साल बाद 28 मार्च 1982 के दिन इंदिरा गांधी ने मेनका गांधी को घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद में राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा था पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1989 में जाकर मेनका गांधी को पीलीभीत से जीत हासिल हुई। कई बार सांसद रह चुकी मेनका गांधी अब सुल्तानपुर मैं बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ेगी।
फिलहाल वरुण गांधी ने अभी इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है और उससे भी बड़ी बात की अस्वीकार भी नही किया है । पर अगर गांधी परिवार एक होता है तो गांधी परिवार का पलड़ा इस लोकसभा चुनाव में भारी रह सकता है ? गांधी परिवार के एक होने के बाद राजनीति के अंदर क्या बदलाव देखने को मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा पर यह कहा जा सकता है कि इस बात से बीजेपी पार्टी बेहद ना खुश होगी।
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