आयुर्वेद मे बवासीर पाइल्स अर्श का क्या है इलाज जानिये !
जब वात, पित, कफ़ तीनो दोष त्वचा, मांस और मेदा को दूषित करता हैं तब गुदा के अंदर और बाहरी स्थानों मैं मांस के अंकुर तैयार होते हैं । इन्ही मांस के अंकुरों को बवासीर या अर्श कहते हैं । अंदरूनी बवासीर और बाहरी बवासीर यह बवासीर के दो प्रकार हैं ।
अंदरूनी बवासीर में मलद्वार के अंदर मस्सा हो जाता है । इसमें कब्ज रहता हैं , मलत्याग के समय जोर लगाने से अंदरूनी मस्सा छिल जाता है और मलद्वार से खून आने लगते है। इसी खुनी बवासीर भी कहते हैं । बाहरी बवासीर में मस्सा बाहर होता हैं । इसमें मलत्याग के समय मस्से पर रगड़ की वजह से बहुत अधिक खुजली व पीड़ा होती है।
खाने पीने मे अनिमियता, जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्त्व, लेकिन और भी कई कारण हैं जिसकी वजह से कब्ज़ की शुरवात होती हैं । कब्ज की ही अगली कड़ि बवासिर या पाइल्स हैं । बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है।बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है।
1.10 ग्राम गेंदे के पत्ते व 5 कालीमिर्च को पानी में पीसकर और फिर छानकर पीने से खूनी बवासीर नियंत्रण में रहता है |
- योग में उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, फायदेमंद हैं ।
3.बवासीर के लिये एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मच शक्कर मिलाकर एक महीने तक खाएं । फायदा होगा।
4.बवासीर के रोगियों को दोपहर में भोजन के बाद एक गिलास छाछ में अजवायन डालकर पीएं।
5.बवासीर, कब्ज इत्यादि में अपान वायु उपयोगी मुद्रा हैं।
6.दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है।
7.फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोने से खूनी बवासीर में फायदा होता है।
8.बवासीर रोगों में अलसी का तेल लेने से पेट साफ रहता हैं । मल चिकना और ढीला निकलता है।
9.निम का तेल – 5 से 7बुंदे सुबह खाली पेट आधा कप पाणी में डालकर लें । इसके अलावा नीम का तेल मस्सों पर लगाये ।
10.छुई-मुई की जड़ और पत्तों का पाउडर दूध में मिलाकर दो बार लेने से बवासीर रोग फायदा होता है।
11.त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से रात को सोने से पहले 1-2 चम्मच सेवन कब्ज की
समस्या दूर करने मेंं मदद करता है। जिससे बवासीर में राहत मिलती है।
12.एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म
पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसको खाने से बवासीर में फायदा होता है।
13.गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर की समस्या में राहत मिलता हैं ।
14.गुलाब की पंखुडी को 100 मिलीलीटर पानी में कुचल कर तीन दिन खाली पेट लेना चाहिए।
15.ईसबगोल की भूसी को गर्म दूध में मिलाकर रात को सोते समय पीयें। इससे कब्ज ठीक होता है और बवासीर में आराम मिलता है।
16.इमली के फूलों का रस बवासीर ठीक करने की ताकत रखता है|
17.बैंगन को जला लें। इनकी राख शहद में मिलाकर मरहम बना लें। इसे मस्सों पर लगायें। मस्से सूखकर गिर जायेंगें।
18.अरण्ड तेल (Castor oil) की मस्सों पर नरमी से मालिश करें। मस्से नरम होकर आसानी से गुदा के अंदर प्रविष्ट किये जा सकते है ।
19.कमल कफ, पित्त, खून की बीमारी, प्यास, जलन, फोड़ा व जहर को खत्म करता है। बवासीर रक्तस्राव में इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
20.प्रतिदिन अंगूर खाने से कब्ज दूर होती है, बवासीर में भी लाभ मिलता है।
21.चमेली के पत्तों का रस तिल के तेल में बराबर की मात्रा में मिलाकर आग पर पकाएं। इस तेल को गुदा में 2-3 बार नियमित रूप से लगाएं। इससे खूनी बवासीर कंट्रोल में रहता हैं
अगर आपका पाचन कमजोर है तो आपको कब्ज, बवासीर, फिशर और एसिडिटी जैसी तकलीफों का सामना करना पड़ता हैं।हमारा पेट ही सभी बीमारियों की जड है ।
Note ; किसी भी प्रकार की बीमारी में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें । खबरी प्रसाद अखबार ऐसे किसी दावे की पुष्टि नहीं करता है ।
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