लाख छुपाओ छुप ना सकेगा राज हो कितना गहरा ,सुप्रीम आदेश बता देगा बॉन्ड का असली चेहरा
इलेक्टोरल बॉन्ड पर
एसबीआई का, नहीं चला कोई बहाना,
जनता को, पड़ेगा सब कुछ बताना
लाख छुपाओ छुप ना सकेगा राज हो कितना गहरा
सुप्रीम आदेश बता देगा बॉन्ड का असली चेहरा
इलेक्टोरल बांड को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी जहां सुप्रीम कोर्ट से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जानकारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक की मोहलत मांगी गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने आज अधिकारियों से कड़े सवाल पूछे और पूछा कि 26 दिनों तक आप क्या कर रहे थें।
कड़क हुआ सुप्रीम कोर्ट तो नरम पड़ा एसबीआई
जब एसबीआई के अधिकारियों को लगा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी नहीं चलने वाली तो उन्होंने कहा कि अगले तीन हफ्तों के अंदर इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी क्योंकि अलग-अलग ब्रांचो में इसकी जानकारी अलग-अलग तरीके से रखी गई है। मगर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एसबीआई की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और अंतत उन्हें कहना पड़ा की 12 मार्च की शाम 5:00 बजे तक हर हालत में चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सारी जानकारी एसबीआई को उपलब्ध करानी होगी वरना इस कंटेंप्ट आफ कोर्ट माना जाएगा और एसबीआई अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
15 मार्च को चलेगा पता किसने खरीदे बॉन्ड और किसको दिए
एसबीआई से मिलने वाली सारी जानकारी चुनाव आयोग को 15 मार्च को आम जनता के लिए वेबसाइट पर लगा देनी होगी। जिससे आम जनता को पता चल सकेगा की इलेक्टोरल बांड खरीदने वाले लोग कौन थे और खरीदारों ने किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड गुप्त रूप से दान कर दिए।
भाजपा को एक बार फिर लगा अप्रत्यक्ष तौर पर सुप्रीम कोर्ट से झटका
यह कोई पहली बार नहीं है जब भाजपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा हो। इसके पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर भारतीय जनता पार्टी को झटका लगा है। अभी चंद दिनों पहले ही चंडीगढ़ में हुए मेयर चुनाव में आठ वोट इनवेलिड कर कर भारतीय जनता पार्टी ने अपना मेयर बनाया था। तब भी उन आठ वोटो को सुप्रीम कोर्ट ने वैलिड माना और फैसला आने के पहले ही भाजपा के मेयर को अपना इस्तीफा देना पड़ गया था। दरअसल माना यह जा रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड में सबसे ज्यादा गुप्त तौर पर जो दान मिला है वह भारतीय जनता पार्टी को ही मिला है और जब यह जानकारी सामने आएगी तब सही मायने में पता चलेगा की किस पार्टी के खाते में कितना गुप्त रूप से दान दिया गया है।
बेहिसाब दानवीरों कर्ण के चेहरे भी होंगे बेनकाब !
यूं तो भारत दानवीरों का देश है। भारत में दानवीरों की कमी नहीं है। मगर दान देने वाले अगर अपना नाम छुपा कर दान करते हैं तो उसके पीछे कहीं ना कहीं उनका कोई ना कोई मतलब सिद्ध होता है। सीधे-सीधे तौर पर कहा जाए तो गुप्त दान कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है और सुप्रीम कोर्ट की निगाह इस अघोषित भ्रष्टाचार पर लगी हुई है। जानकारी बाहर आने के बाद अगर दान लेने वालों का पता चलेगा तो दान देने वालों के बारे में भी पता चलेगा कि आखिर इलेक्टोरल बांड का दानवीर कर्ण है कौन?
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