लौट के नेहा, पूनम घर को आई…अपने तो अपने होते हैं : प्रदीप छाबड़ा
वंदे भारत नही ईमानदार एक्सप्रेस हमे प्यारी
खबरी प्रशाद रीतेश माहेश्वरी
पहली बार चंडीगढ़ नगर निगम में इतना उलट फेर हो रहा है कि शायद खुद पार्षदों को नहीं पता की सुबह किस पार्टी में नाश्ता करेंगे और शाम का डिनर किस पार्टी में करेंगे या ऐसे कह सकते हैं कि इस हफ्ता किस पार्टी में गुजरेगा और अगला हफ्ता किस पार्टी में गुजरेगा। दरअसल बात हो रही है आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच चल रहे राजनीतिक टेस्ट मैच की। इस बात की शुरूआत 18 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी पार्टी में सेंधमारी करते हुए तीन पार्षद को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर लिया था। तब भाजपा नेताओं को लग रहा था कि मेयर चुनाव सुप्रीम कोर्ट में गया हुआ है और सुप्रीम कोर्ट मेयर चुनाव के मामले को रद्द करेगा और चुनाव नए सिरे से होगा। लेकिन अगर सब कुछ भाजपा का सोचा हुआ ही हो जाए, तो फिर सुप्रीम कोर्ट पर भी सभी लोगों का विश्वास उठ जाता। मगर ऐसा नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव में उन आठ वोटो को वैलिड माना जिन आठ वोटो के वजह से आम आदमी पार्टी के मेयर सुप्रीम कोर्ट गए थे। कुछ इस तरह से चंडीगढ़ में पहली बार आम आदमी पार्टी का मेयर बना था। मगर कहानी सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में उलट गई और यहां पर क्योंकि संख्या बल भाजपा का ज्यादा पड़ गया। इस वजह से सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर में भाजपा ने बाजी मार ली। मगर अपने तो अपने होते हैं, यह कहना है आम आदमी पार्टी के नेता प्रदीप छाबड़ा का।
अपने तो अपने होते हैं, बेगानों के पास तो सिर्फ सपने होते हैं
आम आदमी पार्टी के नेता प्रदीप छाबड़ा ने कुछ दिन पहले खबरी प्रशाद अखबार से बातचीत करते हुए कहा था कि बहुत जल्दी ही हमारे भाई बहन जो हमसे रूठ कर भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं उनको भारतीय जनता पार्टी की वास्तविकता पता चल जाएगी और वापस वह आम आदमी पार्टी में ही आ जाएंगे। तब उन्होंने कहा था अपने तो अपने होते हैं बेगानों के पास तो सिर्फ सपने होते हैं। उस वक्त उनके कहने का इशारा भारतीय जनता पार्टी को लेकर था और जैसी प्रदीप छाबड़ा को उम्मीद थी वैसा ही हुआ। आम आदमी पार्टी पार्टी की पार्षद नेहा और पूनम का ज्यादा दिन भारतीय जनता पार्टी में मन नहीं लगा और वापस आज उन्होंने घर वापसी कर ली है।
देर लगी आने मे तुमको , पर कांग्रेस को हरा कर आए
आम आदमी पार्टी के पार्षद वापस अपने घर में तो आ चुके हैं मगर इनका आने में थोड़ी सी देर हो गई अगर चार-पांच दिन पहले आ जाते तो शायद डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर पर कांग्रेस का कब्जा हो जाता । मगर यह टीस कांग्रेस के मन में जरूर रह जाएगी । पर एक कहावत है देर आए दुरुस्त आए ।
खेल अब होगा शुरू क्योंकि सोमवार को फाइनेंस कमेटी के होंगे चुनाव
दरअसल सही मायने में खेल तो अब होगा शुरू क्योंकि सोमवार को फाइनेंस एंड कॉन्ट्रैक्ट कमेटी, नगर निगम चंडीगढ़ के चुनाव होने हैं। इस कमेटी में पांच सदस्य होते हैं। हर सदस्य के पास सात पार्षदों का वोट होना जरूरी होता है। इन दो पार्षदों के घर वापसी के पहले ऐसा लग रहा था कि भारतीय जनता पार्टी का दबदबा फाइनेंस एंड कॉन्ट्रैक्ट कमेटी में रहने वाला है। मगर अब स्थिति उलट गई है और अब एक बार फिर आम आदमी पार्टी का दबदबा फाइनेंस एंड कॉन्ट्रैक्ट कमेटी में हो सकता है क्योंकि नंबर गेम में आम आदमी पार्टी अब फाइनेंस एंड कॉन्ट्रैक्ट कमेटी में बड़ी बन गई है। अगर अब कोई नया उलट फेर नहीं होता है तो।
आखिर 20 दिन के अंदर ही भाजपा की वंदे भारत से क्यों उतरे आप पार्षद
सवाल इस बात का हो गया है कि आखिर आम आदमी पार्टी के यह दोनो पार्षद भाजपा की वंदे भारत गाड़ी से क्यों उतर गए। क्या वंदे भारत गाड़ी की सीट सही नही थी या फिर गाड़ी को लेकर जो सपने दिखाए गए थे वह पूरे नहीं हुए। या फिर गाड़ी के अंदर जितनी सीट है उससे ज्यादा बंदे वहां पहले से ही मौजूद थे इसलिए सीट मिलने की संभावना नहीं थी। वजह जो भी रही हो पर इनको बीजेपी ज्वाइन करते वक्त भाजपा नेताओं ने कहा था कि यह लोग भाजपा की विकासवादी नीतियों को देखकर आए है ना कि हमने इनको कोई सपने दिखाए हैं। पर लगता है कि इन पार्षदों का विकास से मन पूरा भर गया है।
प्रदीप छाबड़ा का दावा जल्दी ही गुरुशरण काला भी वापस आएंगे
वही आम आदमी पार्टी के नेता प्रदीप छाबड़ा ने दावा किया की बहुत जल्दी ही हमारे भाई गुरचरण काला भी घर वापस आ जाएंगे। इन सबको भाजपा की सच्चाई पता चल चुकी है। भाजपा कहती कुछ है और करती कुछ है।
शायद जब से चंडीगढ़ नगर निगम बना है तब से लेकर आज तक चंडीगढ़ वासियों को इतना इंटरेस्टिंग निगम टेस्ट मैच नहीं देखने को मिला होगा । और अभी तो समय बाकी है आगे आगे देखिए होता है क्या । क्या पता किसी और पार्षद का मन बदल जाए । या फिर कांग्रेस इस बात का बदला लेने के लिए उतर जाए कि जब हमारी बारी थी तब तो स्थितियां बदल गई थी अब हमारा नंबर है । पर अभी हर एक पार्टी लोकसभा चुनाव का इंतजार करेगी क्योंकि अब तो खेल लोकसभा चुनाव में होगा ।
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