महिला सशक्तिकरण के नाम पर सिर्फ मीडिया पब्लिसिटी : आर पी मल्होत्रा
भारत में महिलाओं के अधिकारों ओर उनके सशक्तिकरण के बारे बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं। विशेष कर अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर तो इस विषय पर बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैं। लेकिन यह चर्चा समाज के उस वर्ग में होती है जो जागरूक भी है और इस वर्ग की महिलाएं सशक्त भी हैं और पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा रखती हैं।
महिलाओं के उत्पीड़न और उनके अधिकारों का विषय उनके आर्थिक स्तर के साथ जुड़ा है। कई प्रदेशों में महिलाओं को खेतों में काम करते देखा जा सकता है जबकि घर का पुरुष किनारे पर बैठा हुक्का सेवन कर रहा होता है। इतना ही नहीं यह महिलाएं पशुओं का और घर का काम भी देखती हैं। इस पर त्रासदी यह है कि उनकी पति की दास्ता करनी पड़ती है। दूसरा वर्ग है भूमिहीन मजदूरों का है। दोनों पति-पत्नी मजदूरी करते हैं। ठेकेदारी प्रथा में कर्ज के नीचे दबे होने के कारण महिला शारीरक शोषण भी सहती है।
समाज का तीसरा वर्ग जो कि आर्थिक तौर पर थोड़ा ठीक है महिलाओं को घर की चारदीवारी में रखना पसंद करता है। महिलाओं की पढ़ाई के नाम पर यह कहा जाता है कि चुल्हा चौका ही तो करना है कोई जरूरत नहीं। क्या कभी किसी ने इन तीनों वर्गों की महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के बारे में विश्लेषण किया है?
आज जो गोष्ठियाँ और कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के नाम पर हो रहे हैं वह मात्र पिक्चर शूट और मिडिया पब्लिसिटी हैं। अगर वास्तव में कोई इस विषय पर संजीदा है तो सबसे पहले भारत के संविधान में महिलाओं के साथ जूड़ी धाराओं पर ध्यान देना चाहिए और संशोधन की मांग करनी चाहिए। दाम्पत्य सम्बन्धों का वास्ता देकर पति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है जैसे पत्नी कोई व्यक्ति नहीं निजी सम्पत्ति हो। किसी विवाहिता के साथ अनैतिक सम्बधों को अडरटरी की संज्ञा देना भी पत्नी को पति की सम्पत्ति बताने जैसा है।
महिलाओं को बराबरी दर्जा मिलना चाहिए लेकिन घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न का एकतरफा कानून आज समाज की परिवार जैसी महत्वपूर्ण इकाई का तहस-नहस कर रहा है। बराबरी के नाम पर लिव इन रिलेशन और समलैंगिक विवाहों जैसे विकार भारत की सभ्यता को तार तार कर रहे हैं। जरूरत है महिला वर्ग के सम्मान की और समाज की मानसिकता बदलने की। विषय जटिल है इसलिये दोनों पक्षों के हितों की रक्षा को समान रूप से लेना होगा। सशक्तिकरण की शुरुआत समाज की आखरी पंक्ति से हो।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!