आखिरकार नरम पड़े केजरीवाल, ईडी को जवाब देने के लिए तैयार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आखिरकार ईडी को जवाब देने के लिए तैयार हो चुके है। क्या इससे हम यह मान सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने ईडी के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं? चार्ज एजेंसी ईडी का आठवा नोटिस जारी होने के बाद ईडी के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है अरविंद केजरीवाल। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम ने ईडी से 12 मार्च के बाद की डेट मांगी है। आपको बता दे की 27 फरवरी को ईडी ने आठवां समन जारी करते हुए केजरीवाल को पेश होने का आदेश दिया था और अब केजरीवाल ने उनके सवालों का जवाब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा देने का फैसला किया है।
इससे पहले भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने काफी नोटिस भेजे। उनको पहले भी नोटिस 2 फरवरी को जारी किया गया था और फिर 21 दिसंबर को दूसरा नोटिस, 3 जनवरी को तीसरा ,17 जनवरी को चौथा, 2 फरवरी को पांचवा, 14 फरवरी को छठवा ,22 फरवरी सातवां, 27 फरवरी आठवां नोटिस भेजा था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लगातार ईडी के नोटिस को नाकारा और अब 12 मार्च के बाद की तारीख मांगी है। आखिर में केजरीवाल को भी ईडी के सामने नरम पड़ना ही पड़ा।
ईडी के सामने पेश होने के लिए अरविंद केजरीवाल ने लगाई शर्त
ईडी के सामने अरविंद केजरीवाल ने पेश होने के लिए हां तो कर दी है पर कुछ शर्ते भी रखी है। उनकी पहली शर्त है कि वह वर्चुअल किसी माध्यम से ही पेश होंगे और दूसरी शर्त है कि 12 मार्च के बाद कि उन्हें डेट दी जाए। अरविंद केजरीवाल का मामला बिल्कुल हेमंत सोरेन के मामले की तरह ही है हेमंत सोरेन भी दसवें ईडी के समन के बाद ही पेश हुए थे और केजरीवाल ने भी आठवे समन के बाद ही पेश होने की हां भारी है।
क्या कोई आरोपी पेश होने के लिए शर्त रख सकता है?
ईडी के सामने अरविंद केजरीवाल की यह शर्तें एक सवाल उठाती है की क्या कोई आरोपी किसी जांच एजेंसी के सामने किसी भी तरीके की शर्त रख सकता है? देखा जाए तो उनकी शर्त क्या आरोपियों के लिए एक बढ़ावा नही है। किसी भी जांच एजेंसी के सामने एक मामूली आरोपी शर्त रखे तो क्या वह शर्त मंजूर करनी चाहिए?
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल दिल्ली में शराब घोटाले का मामला काफी सुर्खियों में रहा था इस मामले के चलते दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया गया था इसके बाद मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने नाकार दिया था। अरविंद केजरीवाल को भी ईडी ने पहली बार पेश होने को कहा था। अब सवाल उठता है कि आखिर शराब घोटाला असल में है क्या? 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने शराब को लेकर काफी नई नीतियां बनाई थी जिसमें उन्होंने यह भी कहा था की सारे शराब की दुकानों को वह प्राइवेट करेंगे और दिल्ली में 32 जोन बनाए जायेंगे। हर एक जोन में 27 दुकाने खुलेंगी। उस समय दिल्ली में शराब की 40% प्राइवेट दुकान थी और 60% सरकारी दुकान थी। सरकार की इस नीति के बाद सारी दुकाने प्राइवेट होनी थी। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि इसे उन्हें 3,500 करोड़ का फायदा होगा।
इस शराब घोटाले में बीजेपी सरकार का आरोप है कि इसे ना सरकार को कुछ फायदा हुआ ना ही आम जनता को सिर्फ बड़े कारोबारीयो को फायदा हुआ है। दिल्ली सरकार की इस नीति में जिस शराब की दुकान के लाइसेंस के लिए पहले 25 लख रुपए देने पड़ते थे अब उसी लाइसेंस के लिए 5 करोड रुपए देने पड़ते हैं। उन पर आरोप है कि बड़े कारोबारी को फायदा दिलाने के लिए ही लाइसेंस शुल्क को बढ़ाया गया। उनके ऊपर दूसरा आरोप शराब की बिक्री पर है। आरोप यह है कि जिस शराब की बिक्री पर पहले सरकार को जो मुनाफा होता था वह अब नई नीतियों के बाद काम हुआ है।
केजरीवाल सरकार के खिलाफ जब पहले समन जारी हुआ तब शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा था कि ” भाजपा सिर्फ आम आदमी पार्टी को खत्म करना चाहती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अरविंद केजरीवाल से डर लगता है”।
अब बात यह है कि अरविंद केजरीवाल का पेश होना 2024 के लोक सभा इलेक्शंस में क्या बदलाव लाएगा। क्या आम आदमी पार्टी को इस बात से नुकसान हो सकता है? जहां पर 2024 के लिए तैयारी कर रहे हैं अरविंद केजरीवाल वहीं पर ईडी द्वारा समन पर समन भेजे जा रहे हैं इस बात से आम आदमी पार्टी पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि अरविंद केजरीवाल इतने समन भेजने के बावजूद भी आखिर क्यों अब तक पेश नहीं हुए? इस सवाल से तो यह लगता है कि अरविंद केजरीवाल को किसी बात का डर है। देखते हैं कि केजरीवाल की होने वाली पेशी के बाद ईडी का फैसला आखिर किस तरह 2024 के इलेक्शन में दिल्ली में बदलाव लाएगा।
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