सावधान : पकड़ा गया ऐसा ठग गिरोह जो वीवीआईपी लोगों की फोटो करता था इस्तेमाल
महत्वपूर्ण हस्तियों और आईपीएस अधिकारियों के फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर धोखाधड़ी करने वाले एक साइबर ठग को मोहाली पुलिस ने गिरफ्तार किया
पढिए पूरी खबर की किस तरीके से लोगों को दिया जाता था ठगी करने के लिए झांसा और लोग फंसते भी थे , आप बढ़ाते सावधानी और अगर खबर अच्छी लगे तो दूसरों को करें शेयर
साहिबजादा अजीत सिंह नगर मोहाली कपिल नागपाल
डॉ। संदीप कुमार गर्ग, आईपीएस, वरिष्ठ पुलिस कप्तान, जिला एसएएस नगर ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि जिला पुलिस मोहाली द्वारा साइबर अपराधियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान श्रीमती ज्योति यादव, पुलिस कप्तान (जांच), एसएएस नागर और एस. गुरशेर सिंह, पुलिस उप कप्तान (विशेष शाखा और आपराधिक खुफिया), एसएएस नगर के नेतृत्व में। शिव कुमार, प्रभारी (स्पेशल सेल), मोहाली की टीम ने वीआईपी और आईपीएस अधिकारियों के फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
डॉ। गर्ग ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि आरोपी मुहम्मद कैफ उर्फ कैफ पुत्र लियाकत निवासी गांव चिनवाड़ा थाना गोपालगढ़ जिला डींग (राजस्थान) जो वरिष्ठ अधिकारियों व वीआईपी अधिकारियों की फेसबुक आईडी/पेज व अन्य सूचनाएं कॉपी करके बनाता है। उसके जैसे ही फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर वह उन आईडी से भोले-भाले लोगों को यह कहकर ठगता था कि उनका या उनके दोस्तों का ट्रांसफर एक जिले से दूसरे स्थान पर हो गया है, जहां वे रहते हैं। फर्नीचर और अन्य कीमती सामान सस्ते दामों पर बेचे जा रहे हैं। जिस पर वह भोले-भाले लोगों से कोरियर (डिलीवरी चार्ज) दिलाने के नाम पर फर्जी खातों में एडवांस में पैसे जमा कराकर ठगी करता था। प्रारंभिक जांच से यह पता चला है कि उक्त आरोपी बीसीए (फाइनल) का छात्र है और उसे अंग्रेजी में महारत हासिल है, जो भोले-भाले लोगों से अंग्रेजी में बात करता है और अपने प्रभाव में लेकर उन्हें विभिन्न तरीकों से धोखा देता है।
विधि घटना :
1. फेसबुक फर्जी विज्ञापन:
आरोपी अपने गांव के जंगलों में बैठकर मोबाइल फोन के जरिए फेसबुक आईडी बनाता था, फिर फेसबुक (मार्केटपाल) पर सामान बेचने (मोटरसाइकिल, फर्नीचर आदि) के विज्ञापन डालता था, फिर कोई भी व्यक्ति मैसेज भेज देता था सामान खरीदने के लिए। वह लोगों को अपना नंबर भेजता था और इंटरनेट से कोई भी डिवाइस, वीआईपी और आईपीएस अधिकारी के आईडी कार्ड डाउनलोड करता था और उन्हें भोले-भाले लोगों को भेजता था और लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक अधिकारी के रूप में उनसे बात करता था। जिसके लिए भुगतान किया जाता था। भोले-भाले लोगों ने सामान की डिलिवरी फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लोगों से इस तरह ठगी की।
2. ओएलएक्स फर्जी विज्ञापन:
आरोपी अपने गांव के जंगल में बैठकर अपने मोबाइल फोन से ओएलएक्स आईडी बनाता था, फिर ओएलएक्स पर सामान (मोटरसाइकिल, फर्नीचर आदि) बेचने के लिए विज्ञापन डालता था, फिर जो भी सामान खरीदने के लिए मैसेज भेजता था। वह लोगों को अपना नंबर भेजता था और इंटरनेट से किसी भी डिवाइस, वीआईपी और आईपीएस अधिकारी के आईडी कार्ड डाउनलोड कर भोले-भाले लोगों को भेजता था और उनसे एक अधिकारी बनकर बात करता था और लोगों को बेवकूफ बनाकर सामान पहुंचाता था। भोले-भाले लोग भुगतान को फर्जी बैंक खाते में स्थानांतरित कर देते थे और इस प्रकार लोगों को धोखा देते थे।
3.यूट्यूब पर पुराने सिक्के बेचें/खरीदें:
आरोपी मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट के माध्यम से पुराने सिक्कों का वीडियो डाउनलोड कर अपने द्वारा बनाए गए यूट्यूब चैनल पर अपलोड करता था और अपना नंबर अपलोड करता था, विज्ञापन के जरिए वीडियो को बूस्ट किया जाता था, जिसके बाद जो भी पुराने सिक्के खरीदता था, उससे समन्वय स्थापित करता था। दिए गए मोबाइल नंबर पर पुराने सिक्के की रकम के हिसाब से 10 फीसदी एडवांस टोकन मनी फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते थे।
4. कम ब्याज दर पर लोन देने का झांसा देकर मोबाइल नंबर से कॉल करके लोन प्रोसेसिंग फीस के नाम पर करते थे ठगी:
आरोपी ने अलग-अलग मोबाइल फोन के जरिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों के अलग-अलग मोबाइल नंबरों पर फोन किया और उनसे बातचीत की और उन्हें कम ब्याज दरों पर लोन देने की बात कही और उन्हें पूरी तरह से अपनी बातों में ले लिया। लोन की प्रक्रिया या पास करने के लिए एक 5000/- से लेकर 10,000/- तक की रकम फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती थी.
जब आपने यह खबर यहां तक पढ़ ही ली है वीडियो देख ही लिया है तो इस खबर को दूसरों तक भी पहुंचा दें ताकि दूसरे भी सावधान रहे और इस तरीके के ठगी के जाल से बचे रहे
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