सीमा विवाद को सुलझाने पहुंचे दोनों राज्यों के रेवेन्यू अधिकारी, चंडीगढ़ से तहसीलदार पुन्नेदीप शर्मा तो पंचकुला से संपदा अधिकारी मानव मलिक
खबरी प्रशाद जगदीप शर्मा
पंचकूला संपदा विभाग पहले भी पंजाब सीमा पर निशानदेही को लेकर विवादास्पद सुर्खियां बटोर चुका है| ऐसा ही एक विवाद पंचकुला संपदा विभाग का चंडीगढ़ शिवालिक एनक्लेव की सीमा पर करोड़ों मूल्य की जमीन की निशानदेही को लेकर पिछले कई सालों से चल रहा है| जिसमें पंचकुला प्रशासन बिना निशानदेही किए विवादास्पद जमीन पर प्लाटिंग करता रहा है लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा आपत्ति दर्ज करने उपरांत चंडीगढ़ के संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की दखलंदाजी के कारण कब्जे के मंसूबे ध्वस्त होते रहे हैं|
एक बार तो स्थिति ऐसी भी बनी कि दोनों राज्यों के वार्ड संबंधी पार्षदों की बहस के बाद एक दूसरे के खिलाफ दोनों राज्यों की पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था,लेकिन समझौता होने पर सब पहले जैसा नॉर्मल हो गया था| समझौते अनुसार ये लिखित पढ़त हुई कि दोनों राज्यों को जब तक इस सीमा पर अपनी बाउंड्री का पता नहीं चल जाता तब तक यहां कोई भी कंस्ट्रक्शन इत्यादि नही की जायेगी लेकिन इस समझौते को दरकिनार कर पंचकुला प्रशासन द्वारा यहां उसके बाद कई बार कब्जा करने की कोशिश की जाती रही एवं ये बदस्तूर आज तलक जारी है|
हुआ ये कि जिस जगह को लेकर पंचकुला व चंडीगढ़ का विवाद होने के चलते दोनों तरफ के पार्षदों के खिलाफ एक दूसरे के राज्यों की पुलिस ने मामला दर्ज किया था व एक समझौता हुआ था कि जब तक निशानदेही नही हो जाती तब तक यहां कोई कंस्ट्रक्शन नही होगी या यूं कहें कि यहां पर कोई भी कार्य बिना निशानदेही के नही किया जायेगा वहीं उसी जगह पंचकुला प्रशासन ने एक एनजीओ को जगह अलॉट कर दी जिसकी एवज में संस्था से दो करोड़ रूपए जमीन की कीमत स्वरूप लिए गए | लेकिन इसका पता चलते ही स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई व बात दोनों राज्यों के संपदा अधिकारियों के पाले में पहुंच गई|
लगभग सैंकड़ों फीट खुदाई कर चुके इस जमीन को देख दोनों अधिकारियों ने इस जमीन की पैमाईश करने उपरांत ही अलॉट हो चुकी जमीन पर कार्य करने को कहा तब तक कंस्ट्रक्शन नहीं करने को कहा ,जिसे दोनों तरफ के संपदा अधिकारियों ने मान लिया| परंतु जिस संस्था को यह विवादास्पद जमीन अलॉट की गई है उन्होंने मुंबई से किसी विशिष्ट अतिथि को इस इमारत की ईंट/नीव पत्थर रखने को निमंत्रण भेजा हुआ है इसलिए सिर्फ उस विशिष्ट व्यक्ति को बुरा न लगे इसलिए यहां ये शुभ कार्य करने की सहमति जताई है वो भी सिर्फ और सिर्फ इस शर्त पर कि अगर निशानदेही के बाद ये जमीन चंडीगढ़ के हिस्से की निकलती है तो यहां इस इमारत को हटा कर पंचकुला में ही कहीं अन्य जगह स्थान दिया जायेगा |
गौरतलब है कि पंचकुला प्रशासन ने बिना निशानदेही करवाए जल्दबाजी में इस कथित तौर पर चंडीगढ़ की जमीन को करोड़ों में अलॉट कर दिया जिसका पता चलते ही दोनों तरफ के अधिकारी अलर्ट हुए व सिर्फ रविवार को होने वाले कार्यक्रम में कोई विध्न न पड़ने की नीति अपनाते हुए अगली कार्रवाई निशानदेही तक स्थगित की तब तक यहां इस जमीन पर किसी भी तरह की कोई कंस्ट्रक्शन संबंधी कार्रवाई नहीं की जायेगी ,अगर निशानदेही के बाद ये जमीन पंचकुला प्रशासन के हिस्से की निकली तो चंडीगढ़ प्रशासन यहां पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करेगा |
चंडीगढ़ के अधिकारी तक पहुंचने मगर पंचकूला के हो जाते हैं गायब
पिछले कई वर्षों से चंडीगढ़ की संपदा विभाग के अधिकारी निशानदेही के लिए तय शुदा समय अनुसार पहुंचे लेकिन हर बार बुलाने के बावजूद पंचकुला संपदा अधिकारी यहां पर नही पहुंचे ,अब जब विवाद इतना बढ़ गया तब पंचकुला संपदा अधिकारी को भी मौके पर आना पड़ा क्योंकि एलॉटमेंट लेटर अनुसार हुड्डा विभाग यह जमीन सन 2022 में ही अलॉट कर चुका जबकि यहां का सीमा विवाद व निशानदेही करना यहां के अधिकारियों के संज्ञान में था |
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