बाबा बैद्यनाथ : देवघर जेल में बनता है जिनका ‘पुष्प नाग मुकुट’
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रतिष्ठित झारखंड के वैद्यनाथ मंदिर में सावन की शुरुआत के साथ ही हजारों कांवड़ यात्री देवघर पहुंचने लगे हैं। परंपराओं के अनुसार, देश भर से कांवड़ यात्री सावन के पवित्र महीने में यहां आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन जलाभिषेक के साथ एक और परंपरा भी है, जिसका निर्वहन मंदिर में ब्रिटिश काल से ही किया जाता है। देवघर के वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव को वर्षों से सायंकालीन श्रृंगार के समय एक विशेष मुकुट पहनाया जाता है। खास बात यह कि इस मुकुट का निर्माण वह लोग करते हैं जो संगीन अपराधों के दोषी बनकर यहां की जेल में बंद होते हैं।
कहा जाता है कि वर्षो पहले एक अंग्रेज जेलर था। उसके पुत्र की अचानक तबीयत बहुत खराब हो गई। उसकी हालत बिगड़ती देख लोगों ने जेलर को बाबा के मंदिर में ‘नाग मुकुट’ चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों के कहे अनुसार ऐसा ही किया और उसका पुत्र ठीक हो गया, तभी से यहां यह परंपरा बन गई।
इसके लिए जेल में भी पूरी शुद्धता और स्वच्छता से व्यवस्था की जाती है। जेल के अंदर इस मुकुट को तैयार करने के लिए एक विशेष कक्ष है, जिसे लोग ‘बाबा कक्ष’ कहते हैं। यहां पर एक शिवालय भी है। यहां मुकुट बनाने के लिए कैदियों की दिलचस्पी देखते बनती है।
मुकुट बनाने के लिए कैदियों के समूह होते है।प्रतिदिन कैदियों को बाहर से फूल और बेलपत्र उपलब्ध करा दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर बाबा कक्ष में नाग मुकुट का निर्माण करते हैं और वहां स्थित शिवालय में रख पूजा-अर्चना करते हैं। शाम को यह मुकुट जेल से बाहर निकाला जाता है और फिर जेल के बाहर बने शिवालय में मुकुट की पूजा होती है। इसके बाद जेलकर्मी इस नाग मुकुट को कंधे पर उठाकर ‘बम भोले, बम भोले’, ‘बोलबम-बोलबम’ बोलते हुआ इसे बाबा के मंदिर तक पहुंचाते है।
कैदी भी बाबा का कार्य खुशी-खुशी करते हैं। कैदियों का कहना है कि बाबा की इसी बहाने वह सेवा करते हैं, जिससे उन्हें काफी सुकून मिलता है।
शिवरात्रि को छोड़कर वर्ष के सभी दिन श्रृंगार पूजा के समय नाग मुकुट सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का विवाह होता है। इस कारण यह मुकुट बाबा बासुकीनाथ मंदिर भेज दिया जाता है।
आस्था और रिवाजों का यह अनोखा नजारा देवघर की जिला जेल में देखने को मिलता है। यह पुरानी परंपरा है।परंपरा के अनुसार, देवघर जेल के कैदी भगवान शिव के लिए फूलों से विशेष नाग मुकुट का निर्माण करते हैं। ब्रिटिश काल से ही हर रोज जेल के कैदियों द्वारा बनाया गया ये मुकुट मंदिर में श्रृंगार के लिए लाया जाता है और इसके लिए जेल से सिपाहियों को पैदल मंदिर तक मुकुट के साथ भेजा जाता है।
अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में जेल में निरुद्ध कैदी महेश मंडल (बदला हुआ नाम) कहते हैं वह हर रोज अपने 10 साथियों के साथ मिलकर इस मुकुट का निर्माण करते हैं। हर रोज जेल के गार्ड्स इस मुकुट के निर्माण के लिए फूलों को चुनने जाते हैं। फूलों के आने के बाद कैदी करीब 6 घंटे में इस विशेष मुकुट का निर्माण करते हैं, जिसके लिए जेल प्रशासन की ओर से उनमें से हर एक को 91 रुपये का पारिश्रमिक भी दिया जाता है।
सावन महीने की पूर्णिमा के दिन जेल के कैदी ऐसे दो मुकुटों का निर्माण करते हैं, जिसमें से एक दुमका के बासुकीनाथ धाम और दूसरा वैद्यनाथ मंदिर में भेजा जाता है। जेल अधीक्षक हीरा कुमार बताते हैं कि परंपराओं में ऐसी मान्यता है कि बाबा बासुकीनाथ, बाबा वैद्यनाथ से जल्दी अपना आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने बताया कि साल में सिर्फ एक दिन शिवरात्रि को भगवान शिव के लिए नाग मुकुट नहीं बनाया जाता, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि उस दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था और वह उस रोज वह एक अलग तरह का मुकुट पहनते हैं। नाग मुकुट बनाने की शुरुआत के बारे में उन्होंने कहा कि उस साल कमिश्नर टेलर के बेटे की तबियत बहुत खराब हो गई थी। जब देश भर के डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज से इनकार कर दिया तो एक साधु ने टेलर को वैद्यनाथ मंदिर में दर्शन करने की सलाह दी। दर्शन के बाद टेलर के बेटे की तबियत ठीक हो गई और इस एक घटना ने ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं को भी यहां की आस्था से जोड़ दिया।
देवताओं का घर -देवघर
झारखंड का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म का बेहद पवित्र स्थल है। जहां पर यह मंदिर स्थित है उस स्थान को ‘देवघर’ अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। यह ज्योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आनेवाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहा जाता हैं। *(विनायक फीचर्स)*
कुमार कृष्णन-विनायक फीचर्स
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!