पंजाब के शेर लाला लाजपत राय: जीवन, संघर्ष और बलिदान
लाला लाजपत राय का जन्म और शिक्षा
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के धूदिकी गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने 1880 में लाहौर के सरकारी कॉलेज में कानून की पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान वे आर्य समाज के विचारों से प्रभावित हुए और इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। कानूनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने जगरांव में वकालत शुरू की और बाद में रोहतक और हिसार में भी वकालत की।
सामाजिक कार्य और कांग्रेस में भूमिका
लाला लाजपत राय न केवल एक वकील, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। वे आर्य समाज के उद्देश्यों के लिए धन जुटाने में सक्रिय रहे और हिसार नगर निगम के सदस्य और सचिव बने। कांग्रेस की बैठकों में भाग लेने के बाद वे पार्टी के प्रमुख नेता बन गए और 1892 में लाहौर चले गए।
राहत कार्य और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
1897 और 1899 के अकाल के समय, लाला जी ने राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने लाहौर में अकाल पीड़ितों के लिए अपने घर के दरवाजे खोले और कांगड़ा में भूकंप राहत कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में वे सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और विपिन चंद्र पाल के साथ जुड़ गए और स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की।
अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियां और अमेरिका में योगदान
लाला लाजपत राय ने 1917 में न्यूयॉर्क में इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की और वहां रहकर भी स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्थन जुटाया। 1920 में भारत लौटने के बाद, वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े और पंजाब में इस आंदोलन का नेतृत्व किया।
साइमन कमीशन और सर्वोच्च बलिदान
3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन के भारत आगमन पर लाला जी ने इसका कड़ा विरोध किया। 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में हुए एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा उन पर लाठियां बरसाई गईं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी इस चोट के कारण 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया। उनका यह बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अमर हिस्सा बन गया।
लाला लाजपत राय की विरासत
लाला लाजपत राय ने स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान दिया, वह आज भी स्मरणीय है। उनके सम्मान में कई संस्थानों और भवनों की स्थापना की गई, जिनमें “लक्ष्मी इंश्योरेंस कंपनी” और कराची की “लक्ष्मी बिल्डिंग” प्रमुख हैं।
लाला लाजपत राय के प्रेरणादायक विचार
- “अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य का निर्माण न किया जाए।”
- “नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो सदैव आगे रहता हो, साहसी और निर्भीक हो।”
- “पराजय और असफलता कभी-कभी विजय की ओर जरूरी कदम होते हैं।”
लाला लाजपत राय का जीवन और बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणा स्रोत है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!