पंचकूला का सेक्टर-5 बना रामलीलाओं का गढ़
600 मीटर के दायरे में तीन रामलीलाएं, हर मंचन की अपनी अलग पहचान
नवरात्रों के समापन के साथ ही देशभर में रामलीलाओं का रंग चढ़ने लगता है। गांवों से लेकर शहरों तक, गली-मोहल्लों से लेकर बड़े-बड़े मैदानों तक भगवान राम की लीलाओं का मंचन होता है। आमतौर पर एक रामलीला स्थल से दूसरे के बीच कम से कम दो से ढाई किलोमीटर की दूरी होती है। मगर पंचकूला का सेक्टर-5 इस लिहाज़ से अनूठा बन गया है, जहां महज़ 600 मीटर के दायरे में तीन रामलीलाओं का मंचन हो रहा है।
यह नज़ारा पंचकूला को देश के उन गिने-चुने शहरों की सूची में खड़ा करता है, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक रंग इतने करीब-करीब देखने को मिल रहे हैं। हालांकि प्रत्येक आयोजन की अपनी-अपनी विशेषताएं पहचान और चुनौतियां भी हैं।
इंद्रधनुष ऑडिटोरियम : महिलाओं की अनोखी रामलीला
पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडिटोरियम में “जड़ों से जुड़ो” संस्था द्वारा एक अलग तरह की रामलीला की जा रही है। इस मंचन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सभी पात्र महिलाएं निभा रही हैं। सीता से लेकर राम और यहां तक कि रावण और हनुमान तक की भूमिका भी महिलाओं के हाथों में है।
पंचकूला में इस रामलीला का आयोजन पहली बार हो रहा है इसके पहले यह रामलीला मोहाली और जीरकपुर में आज को द्वारा करवाई जा चुकी है ।
हालांकि शुरुआत में पंचकूला में इस रामलीला के आयोजन को लेकर विवाद भी उठा। पर समझ पूछ के साथ उसे विवाद को सुलझा लिया गया ।
इस रामलीला में भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर नेता सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं । इसीलिए आम जनमानस इस रामलीला को सांस्कृतिक कार्यक्रम से ज्यादा सत्ता पक्ष से जुड़ा आयोजन मान रहा है, क्योंकि कमेटी में अधिकांश सदस्य सत्ताधारी दल से जुड़े नेता हैं।
शुरुआती विवाद अब समाप्त हो चुका है , लेकिन दर्शकों की उपस्थिति सीमित है। यहां आम जनता की बजाय अपेक्षाकृत संभ्रांत और उच्च वर्ग के लोग ही अधिक दिखाई देते हैं।

यवनिका गार्डन : हाईटेक मंचन से आकर्षित हो रही भीड़
सेक्टर 4 के हरपुर गांव से श्री रामलीला युवा मंच द्वारा शुरू किया गया रामलीला का सफर अब सेक्टर-5 के यवनिका गार्डन में पहुंच गया है । इस रामलीला का आयोजन श्री रामलीला युवा मंच द्वारा किया जा रहा है। इस रामलीला की सबसे बड़ी पहचान है इसका हाईटेक अंदाज़। मंच पर अत्याधुनिक लाइट्स, साउंड और डिजिटल इफेक्ट्स का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे दर्शकों को नई और रोमांचक अनुभूति मिल रही है।
आम जनता इस रामलीला को देखने के लिए उमड़ रही है। हालांकि आयोजकों के लिए चुनौती यह है कि यवनिका गार्डन का सीमित स्थान बड़ी भीड़ को संभालने में कठिनाई खड़ी कर रहा है। इसके बावजूद पंचकूला में यह रामलीला दर्शकों की पहली पसंद बनती नज़र आ रही है।
सबसे बड़ी बात इस रामलीला के आयोजकों में जो नजर आती है वह यह है कि आयोजक टीम का हर एक सदस्य कार्यकर्ता नजर आता है। किसी भी प्रकार का अहम भाव किसी भी कार्यकर्ता में नहीं नजर आता । और यह भी एक वजह मानी जा रही है दर्शकों के इस रामलीला से जुड़ने की।

शालीमार ग्राउंड : परंपरा और विशाल रावण का आकर्षण
यवनिका गार्डन से मात्र 200 मीटर की दूरी पर शालीमार ग्राउंड की रामलीला अपनी परंपरागत पहचान बनाए हुए है। करीब 40 साल से हो रही यह रामलीला सेक्टर-5 के सांस्कृतिक जीवन का अहम हिस्सा है। आयोजकों के अनुसार इस बार पहली दफा इसमें तकनीक का प्रयोग किया गया है । इसके अलावा इस रामलीला में महिला किरदार पहली बार महिलाएं ही निभा रही हैं । लेकिन दर्शकों का अनुभव मिला-जुला रहा। बहुत से लोग आते हैं, पर कुछ देर बाद लौट जाते हैं।
इस रामलीला की सबसे बड़ी खासियत है इसका रावण दहन। आयोजक हर साल विशालकाय पुतला तैयार करते हैं और इस बार रावण का कद डेढ़ सौ फीट से भी ऊंचा बनाया जा रहा है। यही आकर्षण इसे बाकियों से अलग करता है। हालांकि दर्शकों का कहना है कि आयोजकों का ध्यान कभी-कभी मेहमाननवाज़ी में इतना बंट जाता है कि मंचन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। आयोजन आओभगत में ज्यादा व्यस्त नजर आते हैं। दूसरा इस रामलीला के शुरू होने का समय भी देर रात लगभग 10:00 बजे का है जिसकी वजह से भी दर्शक इस रामलीला से दूर हो रहे हैं।

कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 600 मीटर की दूरी में तीन रामलीलाओं का होना अपने आप में अनूठा आयोजन प्रतीत होता है । किसी के पास जगह ज्यादा तो दर्शन कम किसी के पास दर्शक ज्यादा तो जगह कम पड रही है । रामलीला के आयोजकों को आओ भगत से भी दूर रहना चाहिए । क्योंकि जब बात मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की होती है तो कम से कम रामलीला के दौरान ही सही पर भगवान राम की नीतियों का पालन करते हुए अगर आयोजक भी नजर आए तो ज्यादा बेहतर होगा ।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!