हमारे पूर्वजों तथा वंशावली की महत्वपूर्ण जानकारी पलभर में दे रहे हैं जागा समुदाय के लोग
प्रत्येक जानकारी उपलब्ध करवाने वाला गूगल भी हमारे पूर्वजों तथा वंशावली की महत्वपूर्ण जानकारी देने में फेल, सैकड़ो साल पुराना रिकॉर्ड रखते हैं जागा समुदाय के लोग
विज्ञान के आधार पर नई तकनीको के जरिए हमने चाहे कितनी भी तरक्की कर ली है लेकिन एक जानकारी ऐसी है जिसको सर्च करने के लिए गूगल तथा अन्य आधुनिक तकनीक फेल हैं। ऐसी हमारे पूर्वजों और हमारी वंशावली की जानकारी जानने में विज्ञान तथा तकनीक कोई सहायता नहीं कर सकती इसके लिए जागा समुदाय ऐसा है जो की चंद मिनट में हमारी सैकड़ो साल पुरानी वंशावली अर्थात हमारे पूर्वजों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करवा देता है। आधुनिक युग में बेशक युवा पीढ़ी गूगल के माध्यम से हर प्रकार की जानकारी पल भर में अर्जित कर रही है लेकिन वर्तमान पीढ़ी को उनकी वंशावली गूगल पर उपलब्ध नहीं हो सकती। हमें अपनी वंशावली प्राप्त करने के लिए एकमात्र स्रोत जागा अर्थात बही भाट से ही जानकारी लेनी पड़ेगी। यानी की हमारे पूर्वजों अर्थात हमारी वंशावली के संपूर्ण लेख जागा के पास उपलब्ध होते हैं इनके अलावा यह जानकारी और किसी भी स्रोत से नहीं मिल सकती। तोशाम पहुंचे सैन समाज के जागा प्रवीण ने बताया कि यह उनका पीढ़ी दर पीढ़ी कार्य है। वह अपने यजमान के यहां 3 से 5 साल के बीच एक बार जाते हैं तथा उनके दादा, परदादाओं अन्य पूर्वजों सहित पूरी वंशावली के बारे में जानकारी देते हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्य वह स्वयं ही नहीं बल्कि उनके दादा व परदादा राजा और महाराजाओं के दरबारों से लेकर अपने वंश यजमान परिवारों को गा सुनाकर बताने का कार्य बखूबी करते आए हैं। जागा प्रवीण ने बताया कि उनके पास सैकड़ो साल पुराने अर्थात 7 से 8 सौ साल पुराने उनकी लिपि में लिखित रिकॉर्ड आज भी सुरक्षित हैं। लेकिन आज की नकलभरी दुनिया में जागा के नाम पर कुछ ठग लोग गांव में घूमते-फिरते हैं और लोगों को भ्रमित करके रुपए दान-दक्षिणा के तौर पर लूट रहे हैं जबकि ऐसे लोगों के पास वंशावलियों का कोई रिकॉर्ड नहीं होता और यह लोगों को यह कहकर ठग लेते हैं कि उनके रिकॉर्ड चोरी हो गए हैं। जागा प्रवीण ने लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि ऐसे में लोगों को ऐसे ठगो से सावधान व सतर्क रहने की आवश्यकता है। प्रवीण ने बताया कि ठग अपुष्ट जानकारी देते हैं जो लोगों को भ्रमित करती है। सही जागा लोग जहां भी जाते हैं उस वंश की वंशावली पीछे की कई पीढियां तक की सुनाकर तथ्यों सहित बताते हैं। जागा प्रवीण का कहना था कि बेशक आज की युवा पीढ़ी गूगल व सोशल मीडिया पर कोई भी कठिन से कठिन जानकारी पल भर में खोज सकती है लेकिन वंशावली तो सही मायने में बही भाटो अर्थात जागा के पास ही मिलती है। उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी जैसे उनके पिता, दादा और उनके भाई भी देशभर में भ्रमण करके अपने यजमानों के यहां जाते रहते हैं और उनको उनके वंश की जानकारी देते हैं। वर्तमान में उनका परिवार हरियाणा प्रदेश में अपने यजमानों के यहां भ्रमण पर है।
अपने यजमानों को सुबह जगाने के कार्य के चलते नाम पड़ा था जागा…..
राजस्थान के अजमेर जिले के किशनगढ़ में आबाद जागा परिवार के जगदीश, श्रीकृष्ण, प्रवीण, जसवंत, बसंत तथा अनिल इस जागा प्रणाली को अपनाए हुए हैं और यह अपने-अपने क्षेत्र में जाकर अपने यजमानों के उन परिवारों को वंशावली के बारे में जानकारी देते हैं। प्रवीण ने बताया कि उन्हें अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है कई जगह राव तो कहीं बही भाट तो कहीं जागा के नाम से पुकारा जाता है। उनका कहना था कि उन्हें जागा इसलिए कहा जाता है कि यह प्राचीन समय में सुबह के समय उठकर यजमानों की गाथा गाकर उन्हें जागते थे और उनका मुख्य व्यवसाय यजमानों की वंशावली तैयार करना था तथा यजमानों को उसकी जानकारी पढ़कर सुनाना था। प्रवीण ने बताया कि उनका यह कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। वह पीढ़ीयों से अपने यजमानों की वंशावली का लेखा-जोखा संभाल कर रखते हैं। उन्होंने बताया कि भाटो की बहिया इतिहास के महत्वपूर्ण दस्तावेज है बही लिखने में यह लोग एक विशेष प्रकार की लिपि का प्रयोग करते थे। उनकी लिपि में कम से कम मात्राओं का प्रयोग होता था अर्थात यह बिना मात्रा के अक्षरों की विशेष बनावट को काम में लेते थे। इनकी भाषा और लिपि को हर कोई व्यक्ति न तो समझ सकता था और ना ही उसको पढ़ सकता था। इनके द्वारा लिखी गई उस लिपि को यह स्वयं ही पढ़ सकते थे और समझ सकते थे। प्रवीण ने यह भी बताया कि आज हालात बदल गए हैं और बदली हुई स्थिति और परिस्थितियों में अब वह हिंदी भाषा में वर्तमान हालात लिखने लगे हैं।
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