यह बिल विस्थापित कश्मीरियों को देगा अधिकार और प्रतिनिधित्व : अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री
आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर में जब राजा हरि सिंह का भारतीय संघ के साथ विलय हुआ, उस वक्त से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव हुए। 80 के दशक के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का एक दौर आय। सदियों से जो लोग अपनी भूमि पर रहते थे, वो मूल समेत उखड़ गए। किसी भी सरकार ने इनकी चिंता नहीं की। अगर सटीक उपाय और शक्ति के साथ उस वक्त उगते हुए आतंकवाद को खत्म कर दिया गया होता तो किसी को अपना प्रदेश छोड़कर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे तमाम विस्थापित कश्मीरियों को उनका हक दिलाने के लिए अंत्योदय की राजनीति करने वाले अमित शाह ने 6 दिसंबर 2023 को शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया।
किसी भी समाज में जो पिछड़े लोग होते हैं उन्हें सम्मान के साथ आगे बढ़ाना भारतीय संविधान की मूल भावना है। पिछड़ों को आगे बढ़ाने के लिए मदद से ज्यादा जरूरी सम्मान होता है। जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम के अंदर सुधार करने के बिल के साथ-साथ कमजोर की जगह एक संवैधानिक नाम ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ देकर उन्हें सम्मान देने की भी पहल भी मोदी सरकार ने की है। देश की जनता इस बात की गवाह है कि मंडल कमीशन लागू होने के दौरान सत्ता से बाहर रहते हुए भी विपक्ष के नेता होने के नाते स्व. राजीव गांधी ने इसका विरोध किया था। बीते 9 वर्षों में मोदी सरकार में अमित शाह की नीतियों के तहत बैकवर्ड क्लास को रिजर्वेशन देने और समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास ज़ोर-शोर से किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में 5 और 6 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन सभी वंचितों की आवाज सुनी है, जिन्हें सालों से कोई नहीं सुन रहा था। पूरा देश जानता है कि धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है। जिन लोगों को जूते में पड़े कंकड़ की तरह धारा 370 हटाना खटकता है, उन्हें समझना चाहिए कि इसी बिल का हिस्सा था न्यायिक डिलिमिटेशन। अगर डिलिमिटेशन की प्रक्रिया ही पवित्र नहीं है तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता है। पहले अगर जरूरत हो तो सिर्फ महिलाओं को 2 सीटें दी जाती थी, पर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 3 सीटें और अपॉइंट करने की डिलिमिटेशन कमीशन की सिफ़ारिश को बिल में परिवर्तन कर के कानूनी जामा पहनाने का काम किया है। पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 107 सीटें थी, अब 114 है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!