नाबालिग प्रेगनेंसी मे सुप्रीम फैसला, 30 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति
प्रेरणा ढिंगरा : सुप्रीम कोर्ट ने 30 हफ्ते की 14 साल की नाबालिग को अबॉर्शन की दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिक बच्ची के साथ हुए रेप मामले मे गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी है। इस मामले मे बच्ची महज 14 साल की है और 30 हफ्ते प्रेग्नेंट भी।
सुप्रीम कोर्ट ने 7 महीने में अबॉर्शन की इजाजत अनुच्छेद-142 के तहत दी है, जिसमें वह अपनी शक्तियों का विशेष मामले मे इस्तेमाल कर सकते हैं । दरअसल कुछ समय पहले नाबालिक लड़की के परिजनों की तरफ से हाई कोर्ट में भी इस बात की अर्जी डाली गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस अर्जी को नकार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के भी फैसले को रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का क्या है आदेश?
सुप्रीम कोर्ट का कहना है की लड़की सेक्सुअल एसॉल्ट का शिकार है। लड़की की मां ने भी अबॉर्शन की याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सियान अस्पताल को कहा है की लड़की का मेडिकल चेकअप कराए और कोर्ट को इस बात की सूचना दें कि अगर लड़की का गर्भपात करवाया जाता है तो इससे उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा।
आपको बता दे की मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी के अनुसार, गर्भावस्था को समाप्त करने की मैक्सीमम लिमिट 24 सप्ताह है। सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला दिया
गर्भपात के लिए भारत का कानून क्या कहता है?
भारत में अबॉर्शन को कानून भी मान्यता देता है, लेकिन 3 महीने बाद गर्भपात करवाना कानूनन जुर्म है क्योंकि 3 महीने बाद बच्चे का दिल और ज्यादातर अंग बन जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति 3 महीने बाद अबॉर्शन करवाता है तो उसे मर्डर माना जाएगा। भारत में अबॉर्शन को लेकर ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट’ है, जो 1971 से लागू दुआ था, उसमें 2021 में संशोधन हुआ। अगर एक महिला मां बनने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं है तो वह 20 हफ्ते तक बच्चा गिरा सकती है। 20 हफ्ते के बाद अगर बच्चे को किसी तरीके का मानसिक या शारीरिक खतरा है, तब भी अबॉर्शन करवाया जा सकता है। परंतु ऐसे कैसे में दो डॉक्टर का होना अनिवार्य है। 24 हफ्तों के बाद सिर्फ उन्हीं महिलाओं को अनुमति दी जाती है, जो यौन उत्पीड़न या रेप से गुजरी है। 24 हफ्ते बाद इस मुद्दे पर फैसला मेडिकल बोर्ड लेता है।
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