क्या पंचकूला भाजपा में सब कुछ ठीक ?
दो वरिष्ठ नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक और हाथापाई की चर्चा
पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता किए जा रहे साइडलाइन , दूसरे दलों से आए नेताओं को मिल रहा मौका
पंचकूला भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक खींचतान और मतभेदों की खबरें अब धीरे-धीरे सतह पर आने लगी हैं। लंबे समय से अंदरखाने चल रहे विवादों की भनक तो पहले भी मिलती रही थी, लेकिन हाल ही में घटी एक घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वास्तव में पंचकूला भाजपा में सब कुछ ठीक चल रहा है? कैमरे के सामने हंस बोलकर फोटो खिंचवाने वाले नेता क्या अंदर भी एक दूसरे से हस बोल रहे हैं । तो आपकी जानकारी के लिए बता दे ऐसा नहीं है अंदर एक दूसरे की टांग खींची जा रही है और अब तो एक मामला इससे भी आगे बढ़ गया है।
पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है कि कुछ दिन पहले पंचकूला भाजपा अध्यक्ष अजय मित्तल और पार्टी उपाध्यक्ष टोनी गुप्ता के बीच किसी मामले को लेकर तीखी नोकझोंक हो गई। सूत्रों के अनुसार, बात इतनी बढ़ गई कि दोनों नेताओं द्वारा एक-दूसरे के प्रति उग्र और अपशब्दों का प्रयोग किया और स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई।
मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने बीच-बचाव कर किसी तरह मामले को शांत कराया।
कौन हैं ये नेता?
अजय मित्तल वर्तमान में पंचकूला भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं। और राज्यसभा सदस्य रेखा शर्मा के काफी करीबी माने जाते हैं संगठन में उनकी पकड़ भी ऊपर तक है ।
तो वही टोनी गुप्ता पिछले वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उनके साथ ही वार्ड-14 के पार्षद सुनील सिंगला ( विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में थे , फिर कांग्रेस में चले गए थे ) भी भाजपा में लौट आए थे।
पार्टी में प्रवेश के बाद टोनी गुप्ता को जिला उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी।
सूत्र बताते हैं कि यही नियुक्ति कई पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए असंतोष का कारण बनी, क्योंकि वे वर्षों की निष्ठा के बावजूद संगठनात्मक जिम्मेदारियों से दूर रहे।
घटना के बाद मंचों पर दूरी साफ दिख रही है
घटना के बाद से दोनों नेताओं को सार्वजनिक कार्यक्रमों में एक साथ मंच साझा करते कम ही देखा गया है। पार्टी के स्थानीय कार्यक्रमों में भी स्पष्ट दूरी दिखाई देने लगी है। यह स्थिति पार्टी के लिए आने वाले समय में संगठनात्मक एकता और सामंजस्य की चुनौती बढ़ा सकती है।
मामले को दबाने की कोशिश
भाजपा से जुड़े हुए अखबार के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पार्टी का उच्च नेतृत्व भी इस घटना से अवगत है।
हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी फिलहाल इस मामले को “घर का मामला” बताते हुए इसे शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं।
संगठन की छवि पर आंच न आए, इसलिए मामला मीडिया से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है।
लेकिन जैसा कि कहा जाता है— “जहाँ आग होती है, धुआँ खुद बाहर आ ही जाता है।”
‘घोड़े खा रहे घास, गधे खा रहे च्यवनप्राश’ वाली बहस पंचकूला में भी ?
बीते दिनो सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक बयान खूब चर्चाओं में था, जिसमें उन्होंने कहा था—
“दिक्कत यह है कि घोड़े खा रहे घास और गधे खा रहे च्यवनप्राश।”
इस कथन का संदर्भ था— पार्टी में वर्षों से काम करने वालों को पीछे कर बाहर से आए लोगों को उच्च पद देना।
पंचकूला भाजपा में भी ठीक ऐसा ही असंतोष कई पुराने कार्यकर्ताओं में देखा जा रहा है।
लंबे समय से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि
“जो आज नए-नए आए हैं, वही मंच पर हैं। हम तो सिर्फ कुर्सियाँ लगाने और दरियाँ बिछाने तक सीमित रह गए हैं।”
गुटबाजी का शिकार हो रही पंचकूला भाजपा
पंचकूला भाजपा की अगर बात की जाए तो पिछले काफी समय से अलग-अलग नेताओं ने अपने-अपने गुट बना रखे हैं। ऐसे में असमंजस कार्यकर्ताओं के सामने आ जाता है कि वह किसी गुट के साथ खड़े हो, और किसके साथ ना खड़े हो । फिलहाल वक्त नगर निगम चुनाव का है और नगर निगम चुनाव के लिए ज्यादातर कार्यकर्ताओं की निगाहें लगी हुई है। अगर इस तरह के विवाद दोबारा सामने आते रहे तो भाजपा के लिए स्थिति असहज वाली हो सकती है। किसी भी संगठन में दो व्यक्तियों के बीच मतभेद हो सकते हैं पर वह मतभेद जब कमरे के बाहर आते हैं तो चर्चा का विशेष बन जाते हैं ।





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